गुड़ी पड़वा हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखता हैं क्योंकि इसी दिन से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती हैं। इसे चैत्र महीने के पहले दिन मनाया जाता हैं और महाराष्ट्र-गोवा जैसे राज्यों में तो विशेष रूप से मनाया जाता हैं। इसी दिन से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत भी होती हैं।
माना जाता हैं कि इसी दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था। एक अन्य कहानी के मुताबिक, श्रीराम इसी दिन 14 साल का वनवास पूरा कर वापस अयोध्या लौटे थे। एक और कहानी के मुताबिक, राजा शालीवाहन ने इसी दिन शकों को हराया था। इसलिए इस दिन से शालीवाहन शक की भी शुरुआत होती हैं।
गुड़ी पड़वा के दिन घरों की साफ सफाई कर उन्हें फूलों और रंगोली से सजाया जाता हैं। इस त्योहार का का सबसे खास पहलू होता हैं “गुड़ी।” गुड़ी एक बांस की छड़ी होती हैं जिसे फूलों, आम के पत्तों, साड़ी या रेशमी कपड़े से सजाया जाता हैं। इसे आमतौर पर घरों की छतों पर लगाया जाता हैं। ये माना जाता हैं कि इससे घर में सुख-समृद्धि आती हैं।
गुड़ी पड़वा के दिन लोग अलग अलग तरह के व्यंजनों का लुत्फ भी उठाते हैं। श्रीखंड, पूरन पोली, बताशे आदि। इस दिन नीम के पत्ते भी खाए जाते हैं जिन्हें सेहत के लिए अच्छा माना गया हैं।
गुड़ी पड़वा अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता हैं। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में इसे उगादि कहा जाता हैं। जबकि पंजाब में इसे बैसाखी के नाम से जाना जाता हैं। वहीं कश्मीरी पंडित इसे नवरेह के रूप में मनाते हैं।
यह त्योहार लोगों को एक साथ लाता है और हमें याद दिलाता है कि हमेशा नई शुरुआत के लिए तैयार रहना चाहिए और अपने जीवन में खुशहाली लाने के लिए कोशिश करनी चाहिए। यह हमें नई उम्मीदों साथ नए साल का स्वागत करने का मौका देता है।
गुड़ी पड़वा के इस शुभ अवसर पर, सभी को The Fourth की ओर से हार्दिक शुभकामनाएँ।