उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गौ-संवर्धन के लिए एक फैसला लिया है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में जितनी भी शत्रु संपत्तियां है, उन पर चारा उत्पादन और पशु संरक्षण केंद्र स्थापित करने का आदेश दिया है। ऐसा इसीलिए क्योंकि, उत्तर प्रदेश में 6,017 से ज्यादा शत्रु संपत्तियां हैं। साथ ही उत्तर प्रदेश में अभी 7,624 गो-आश्रय संचालित हैं, जिनमें 12 लाख से ज्यादा गोवंश मौजूद हैं।
योगी सरकार ने मांगा शत्रु संपत्तियों का ब्यौरा
योगी सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से शत्रु संपत्तियों का ब्यौरा मांगा है। प्रस्तावित योजना के मुताबिक केंद्र सरकार आवश्यक ज़मीन उपल्ब्ध कराएगी। साथ ही उत्तर प्रदेश पशुधन और दुग्ध विकास विभाग के प्रमुख सचिव के. रविंद्र नायक ने बताया कि, इस योजना का उद्देश्य चारे की पर्याप्त आपूर्ति और पशुओं से संबंधित शोध केंद्रों का विकास करना है ताकि, पशुधन का संरक्षण और विकास किया जा सके।
भारत में कितनी शत्रु संपत्तियां है?
शत्रु संपत्तियों का मैनेजमेंट CEPI यानी ‘Custodian of Enemy Property for India’ करती है। CEPI के मुताबिक देशभर में कुल 13,252 शत्रु संपत्तियां हैं। इसमें 12,485 संपत्तियां पाकिस्तान के नागरिकों की हैं, जबकि 126 चीनी नागरिकों की हैं। अगर अलग-अलग राज्यों के आंकड़ों पर नजर डालें तो सबसे ज्यादा यानी 6,255 शत्रु संपत्तियां उत्तर प्रदेश में हैं। वहीं 4088 संपत्ति बंगाल में हैं। पहले देश भर में 9,406 शत्रु संपत्तियों की कीमत ₹1 लाख करोड़ आंकी गई थी।
क्या होती है शत्रु संपत्तियां?
वो लोग जिन्होंने आज़ादी के समय भारत के बंटवारे में पाकिस्तान को चुना और पाकिस्तान की नागरिकता ले ली हो और अपनी सम्पत्ति को भारत में ही छोड़ गए हो, ऐसी सम्पत्ति को ही शत्रु संपत्ति कहा जाता है। दअरसल, 1947 के बंटवारे में हजारों लोग भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे। हालांकि, वह अपने साथ चल संपत्तियां तो ले गए, लेकिन अचल संपत्तियां जैसे- जमीन, मकान आदि यहीं रह गई। जिसके बाद सरकार ने इसको अपने कब्जे में ले लिया और इनको शत्रु संपत्ति का नाम दे दिया। साल 1962 में जब भारत-चीन की लड़ाई हुई और 1965 और 1971 में पाकिस्तान से युद्ध हुआ, तब भारत ने भी शत्रु संपत्ति एक्ट के तहत उनके नागरिकों की संपत्ति अपने कब्जे में ले ली थी।
क्या है शत्रु संपत्तियों पर कानून?
1965 में भारत-पाकिस्तान जंग के बाद 1968 में शत्रु संपत्ति कानून लागू किया गया था। इस कानून में समय-समय पर संशोधन होते रहे हैं। लेकिन सबसे अहम संशोधन 2017 में लागू हुआ था। इस संशोधन में शत्रु संपत्तियों का दायरा भी बढ़ा दिया गया था। इससे न केवल उन व्यक्तियों की संपत्ति शामिल की गई थी जो दुश्मन देश से हैं, बल्कि उनके वंशजों और उत्तराधिकारियों की संपत्तियां भी शामिल है। इस कानून में सरकार को शत्रु संपत्तियां बेचने का भी अधिकार दिया गया है, जिस पर पहले रोक लगाई गई थी। इसके अलावा अगर कोई भारतीय नागरिक किसी शत्रु संपत्ति को खरीदता है तो, वो उसे विरासत में किसी दूसरे को नहीं दे सकता है। यानी अगर पिता ने शत्रु संपत्ति खरीदी है तो उस पर बच्चों का हक नहीं होगा।