20वीं सदी के सबसे चर्चित और विवादित नेताओं में से एक, जॉन फिट्ज़गेराल्ड केनेडी, अमेरिका के 35वें राष्ट्रपति थे। उनकी करिश्माई शख्सियत, राजनीतिक दृष्टिकोण और युवा नेतृत्व ने उन्हें दुनिया भर में लोकप्रिय बना दिया। लेकिन 22 नवंबर, 1963 का दिन अमेरिकी इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज हो गया, जब डलास, टेक्सास में केनेडी की हत्या कर दी गई। यह घटना सिर्फ एक हत्या नहीं थी; यह एक राष्ट्रीय त्रासदी थी जिसने न केवल अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया को झकझोर दिया।
22 नवंबर, 1963 को, जॉन एफ. केनेडी अपनी पत्नी जैकलीन केनेडी के साथ डलास, टेक्सास के दौरे पर थे। उनका उद्देश्य विभिन्न शहरों में जाकर लोगों से संवाद करना और आगामी चुनावों के लिए समर्थन जुटाना था।
डलास में, उन्होंने ओपन-टॉप लिमोज़ीन में शहर की सड़कों पर परेड करने का निर्णय लिया। यह परेड डलास की मुख्य सड़कों से होते हुए डील्ली प्लाज़ा तक जा रही थी। उत्साही भीड़ राष्ट्रपति को देखने और उनका स्वागत करने के लिए सड़कों के किनारे खड़ी थी।
जैसे ही राष्ट्रपति का काफिला डील्ली प्लाज़ा पहुँचा, स्थानीय समयानुसार दोपहर 12:30 बजे, अचानक गोलियों की आवाज गूंजी। पहली गोली राष्ट्रपति की गर्दन पर लगी, और दूसरी, जो घातक साबित हुई, उनके सिर में लगी। राष्ट्रपति को तुरंत पास के पार्कलैंड अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टर उनकी जान नहीं बचा सके। दोपहर 1:00 बजे, जॉन एफ. केनेडी को मृत घोषित कर दिया गया।
हत्या के बाद कुछ घंटों में, ली हार्वे ऑस्वाल्ड नामक एक व्यक्ति को इस कृत्य का दोषी ठहराया गया। ऑस्वाल्ड को पास की टेक्सास स्कूल बुक डिपॉज़िटरी इमारत से गिरफ्तार किया गया, जहां से गोली चलाने का दावा किया गया।
हालांकि, ऑस्वाल्ड ने कभी अपने अपराध को कबूल नहीं किया। 24 नवंबर, 1963 को, जब पुलिस ऑस्वाल्ड को स्थानांतरित कर रही थी, तब जैक रूबी नामक एक व्यक्ति ने उसकी गोली मारकर हत्या कर दी। इससे साजिश की अटकलें और गहरी हो गईं।
केनेडी की हत्या ने साजिश के कई सिद्धांतों को जन्म दिया। जैसे यह कहा गया कि CIA केनेडी की नीतियों से नाराज़ था, खासकर उनके द्वारा क्यूबा संकट और सोवियत संघ के साथ तनाव को कम करने के प्रयासों के कारण। केनेडी प्रशासन ने माफिया के खिलाफ अभियान चलाया था, जिससे माफिया नेतृत्व उनके खिलाफ हो गया। शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ और क्यूबा को भी इस साजिश में शामिल माना गया। केनेडी के शांति प्रयासों और वियतनाम युद्ध को समाप्त करने की इच्छा को उनके खिलाफ माना गया।
घटना के बाद, वॉरेन कमीशन का गठन किया गया, जिसने एक साल की जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि ‘ली हार्वे ऑस्वाल्ड’ ने अकेले ही केनेडी की हत्या की। हालांकि, इस रिपोर्ट को व्यापक आलोचना और संदेह का सामना करना पड़ा। बाद की जांचों और खुलासों ने यह संकेत दिया कि वॉरेन कमीशन की रिपोर्ट अधूरी थी और कई महत्वपूर्ण पहलुओं की अनदेखी की गई थी।
जॉन एफ. केनेडी की हत्या ने अमेरिकी जनता को गहरे शोक में डाल दिया। उनकी हत्या ने न केवल एक नेता बल्कि एक युग का अंत कर दिया। उनके प्रशासन को “कैमेलॉट” के रूप में याद किया जाता है, जो उम्मीद, प्रगति और आदर्शवाद का प्रतीक था।
उनकी हत्या पर बनी फिल्में, किताबें और डॉक्यूमेंट्रीज इस बात की गवाही देती हैं कि यह घटना सिर्फ एक ऐतिहासिक तथ्य नहीं, बल्कि एक रहस्य है जो शायद कभी पूरी तरह से सुलझ नहीं सकेगा। केनेडी की हत्या ने दुनिया को यह दिखाया कि सत्ता के गलियारों में षड्यंत्र और लालच कितने खतरनाक हो सकते हैं। यह घटना हमें न केवल इतिहास के एक पन्ने के रूप में याद रखनी चाहिए, बल्कि यह समझने के लिए भी कि लोकतंत्र और नेतृत्व को संरक्षित करने के लिए कितने मजबूत संस्थानों और सतर्क नागरिकों की आवश्यकता है।