तीन हफ्ते बाद गांव लौटी राखी (13) अडिग है और कह रही है कि साध्वी तो मैं बन कर रहूंगी… अखाड़ा नहीं मिला तो क्या हुआ। दीदी ऋतंभरा के वृंदावन वाले आश्रम में पढ़ूंगी। धर्म का प्रचार करूंगी। मेरे गुरु पर जो आरोप लगाए गए हैं, वो गलत हैं।आगरा के फतेहाबाद (गांव टरकपुरा) की रहने वाली राखी ने जूना अखाड़ा में शामिल होने का इरादा किया। नाबालिग होने से उसे घर भेज दिया गया। कुछ दिन कुंभ में रुकी रही। फिर एक रोज पिता से कहा कि अब घर चलते हैं। मुझे साध्वी बनना है।
गुरु कौशल गिरि का आशीर्वाद लेने पहुंची, तो उन्होंने भी समझाया कि अभी पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान दो। राखी अड़ी है। सोशल मीडिया के बाल बाबा की तरह लोकप्रियता मेरा मकसद नहीं है।
एकांत और ध्यान चाहती हूं
मैं ध्यान और एकांत चाहती हूं। जब विदेश में बच्चों को अपना ‘कल’ चुनने की आजादी है, तो भारत में मुझे क्यों रोका जा रहा है। कुछ साल बाद बालिग हो जाऊंगी, फिर मुझे कौन रोकेगा।
राखी के पिता के मन की बात
राखी के पिता बता रहे हैं कि साधु-संतों की ही बात करती है। जानती है कि साध्वी बनना आसान नहीं है, लेकिन हर मुश्किल के लिए तैयार है। जब इंकार कर दिया, तो गंगा में कूदने की धमकी दे रही थी। हम उसकी बात मानने को मजबूर हैं।भगवा कपड़े में ही रहेंगी जूना अखाड़ा के कर्ताधर्ताओं से गुजारिश कर रही है कि गुरु को फिर से अखाड़े में शामिल किया जाए। वृंदावन के जिस आश्रम में पढ़ाई करने का कह रही है, अभी वहां से मंजूरी नहीं मिली है।