पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख विरोधी दंगों में पूर्व सांसद सज्जन कुमार दोषी पाए गए हैं। मामला 1 फरवरी 1984 को दिल्ली के सरस्वती विहार इलाके में दो सिख पिता-पुत्र जसवंत सिंह और तरुणदीप सिंह की हत्या से जुड़ा हैं। कोर्ट 18 फरवरी को सज़ा सुनाएगी। जानकारी के लिए बता दें कि सज्जन कुमार 1984 के ही अन्य मामले में दिल्ली छावनी में उम्रकैद की सज़ा काट रहे हैं।
क्या हैं मामला?
1984 में हुए सिख विरोधी दंगों में हुई दो मौतों से यह मामला जुड़ा हुआ हैं। जसवंत सिंह और पुत्र तरुणदीप सिंह की हत्या के बाद पत्नी ने पंजाबी बाग पुलिस थाने में केस दर्ज कराया था।
पुलिस द्वारा की गई जांच को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने 2021 में आरोप तय किए थे और इस दौरान पीड़ित के वकील ने दलील देते हुए कहा कि, “हिंसक भीड़ खतरनाक हथियारों को लेकर सरस्वती विहार में घुसी। उन्होंने तोड़फोड़ और लूटपाट शुरू कर दी। इंदिरा जी की हत्या का बदला लेने के लिए सिखों को मार रहे थे। इसी भीड़ ने जसवंत के घर पर हमला किया और उनकी व उनके बेटे की निर्ममता से हत्या कर दी।”
मामले की गंभीरता को देखते हुए, 12 फरवरी को अदालत ने निर्णय सुनाते हुए कहा कि सज्जन न केवल इस भीड़ में शामिल थे बल्कि इसका नेतृत्व भी कर रहे थे। अब 18 फरवरी को अंतिम फैसला सुनाया जाएगा। इस तरह पीड़ितों को 41 साल बाद ही सही, मगर इंसाफ ज़रूर मिला।