जयपुर। पिछला चुनाव हारने के बाद पूरे आसार थे कि वसुंधरा राजे को राजस्थान की सियासत से दूर कर दिया जाएगा, लेकिन बीते कुछ महीनों में हालात बदल गए हैं। फिर से वसुंधरा को ताकत दी जा रही है। तय लग रहा है कि छह महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में वही भाजपा की सीएम-प्रत्याशी होंगी। बैनर-पोस्टर में तो तस्वीरें बड़ी हो ही गई हैं… आसपास के राज्यों में भी वसुंधरा को जिम्मेदारी दी जा रही है। झारखंड की गिरिडीह, दुमका, गोड्डा और कोडरमा सीटों में लोकसभा चुनाव की जिम्मेदारी दी जा सकती है। वसुंधरा को अब तक भाजपा के स्टार-प्रचारकों की लिस्ट से बाहर रखा जा रहा था, लेकिन दिल्ली हाइकमान फिर उन्हें सामने ला रहा है।
ये है अहम वजह
राजस्थान की सियासत में चेहरा बनाने के पीछे अहम वजह यह भी है कि पायलट और गेहलोत के बीच चल रही लड़ाई का फायदा उठाया जा सके। पायलट-खेमा लगातार आरोप लगा रहा है कि गेहलोत सरकार ने वसुंधरा राजे को रियायत दी थी। चुनाव में अगर वोटरों तक कांग्रेस नेताओं का अविश्वास पहुंच गया, तो फायदा भाजपा को होगा। स्थानीय भाजपाइयों से भी वसुंधरा ने मेल-मिलाप बढ़ा दिया है। हर छोटे-बड़े कार्यक्रम में पहुंच रही हैं। प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी और वसुंधरा के बीच भी तालमेल बेहतर हो चुका है। सतीश पुनिया की छुट्टी इसी बात का इशारा है कि वसुंधरा के लिए भरोसा बढ़ गया है।