भोपाल। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्य प्रदेश की सियासत से झटका लगा है। उनके करीबियों में से एक माने जाने वाले बैजनाथ सिंह ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। जब सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा चुनी थी तब बैजनाथ भी साथ गए थे। अब बैजनाथ ने कहा है कि भाजपा में मेरा दम घुट रहा था। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने बैजनाथ को हाथों हाथ लिया है। माना जाता है कि बैजनाथ की वापसी में विधायक जयवर्धन सिंह का बड़ा हाथ है।
बैजनाथ की जुबानी
शिवपुरी के दिग्गज नेता बैजनाथ सिंह ने कहा की ‘सिंधिया के साथ भाजपा में चला तो गया, लेकिन वहां दम घुट रहा था। ये वापसी मेरे लिए आजादी जैसी है। खुश हूं कि कांग्रेस में लौट आया। किसी पार्टी का नहीं, बल्कि सच का साथ देने आया हूं। दो साल पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ जब सैकड़ों कांग्रेसी भाजपा में गए थे, तो बैजनाथ भी पीछे-पीछे हो लिए थे। जब वापस आए हैं, तो हजारों की भीड़ साथ लाए हैं।
700 कारों का काफिला ले गए
कांग्रेस में शामिल होने के लिए शिवपुरी से भोपाल तक 700 कारों का काफिला ले गए थे। इसके जवाब में बोले कि मुझे ताकत दिखाना थी, तो दिखा दी। भोपाल के जिस मंच पर दिग्विजय सिंह, कमलनाथ के हाथों से कांग्रेस का झंडा पहना, वहां बैजनाथ के पंद्रह और साथियों ने भी एक-रंग होने का फैसला कर लिया। बैजनाथ ने कहा कि मेरे और सिंधिया के पारिवारिक रिश्ते रहे हैं। मैं महाराज नहीं हूं, न ही मेरी कोई सल्तनत है। शिवपुरी के लोगों से कहा कि आपने जिंदगी भर महाराज को देखा है… अब कमलनाथ को देखिए। कांग्रेस ने भी बैजनाथ को ऐसे हाथोंहाथ लिया है, जैसे वो बहुत अहम कड़ी हों। उन्हें बड़ा बताने की कोशिश इसलिए है, ताकि सिंधिया को झटका दिया जा सके।
जयवर्धन ने करवाया पाला बदल !
बैजनाथ के स्वागत में दिग्विजय सिंह, कमलनाथ सहित पूरी कांग्रेस मौजूद थी। कांग्रेस विधायक जयवद्र्धन सिंह को बैजनाथ की इस वापसी का सूत्रधार माना जा रहा है। जयवद्र्धन ने कहा कि बैजनाथ वफादार कांग्रेसी रहे हैं, लेकिन सिंधिया के चक्कर में चले गए। दो साल बाद उनकी आंखें खुलीं और लौट आए। हम जानते हैं कि सिंधिया खेमे के कई लोगों का भाजपा में दम घुुट रहा है। इन लोगों की वजह से पुराने भाजपाइयों में ले-दे हो रही है। कई का भाजपा से मोहभंग हो रहा है। वो कांग्रेस में आना चाहते हैं।
टिकट कटने से गुस्साए बैजनाथ
बताया जाता है कि विधानसभा टिकट का इंकार हो जाने के बाद उन्होंने कांग्रेस-वापसी का फैसला किया। इससे पहले योगेंद्र यादव भी वापस आ चुके हैं। भाजपा में कई पुराने बरसों से इंतजार कर रहे हैं, इसलिए कांग्रेस से भाजपा में गए लोगों का टिकट होने के आसार न के बराबर हैं। ग्वालियर के एक कांग्रेस नेता ने कहा कि जिस तरह से वफादार साथ छोड़ रहे हैं, सिंधिया के माथे पर सिलवटें पड़ गई होंगी। ये सब लोग भाजपा को संदेश देना चाहते हैं कि जो हुआ, गलत था।