बंगलुरु / भारतीय फुटबॉल टीम ने कल बड़ी चैंपियनशिप जीती है। हर तरफ तारीफ है, लेकिन जीत के जश्न में कुछ खिलाडिय़ों का मणिपुरी झंडा ओढऩा बवाल कर रहा है। जब टीम-फोटो हुआ, तो जैक्सन सिंह, महेश सिंह और उदंता सिंह ने मणिपुर का झंडा ओढ़ लिया। तस्वीर आम हुई, तो सवाल पूछा गया कि जब वहां हालात ठीक नहीं हैं, तो इस मुद्दे को क्यों उछाला।
खिलाड़ियों को सफाई
खिलाडिय़ों ने सफाई दी है कि हम तो एकता का संदेश देना चाहते थे। हर भारतीय की तरह मणिपुरी भी शांति चाहते हैं। बेवजह बदनाम किए जा रहे हैं। जैक्सन सिंह की तस्वीर पर ज्यादा बातें हो रही हैं। भारत की जीत में उन्होंने अहम किरदार निभाया था। टीम-मैनेजमेंट की तरफ से भी कहा गया है कि कहीं कोई परेशानी नहीं है। पूरी टीम एक है… आगे से ये सब नहीं होगा। खेल को दूसरी चीजों से नहीं जोड़ा जाएगा।
फायरिंग में एक मौत
मणिपुर में लूटपाट, आगजनी की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। थौबल जिले में भीड़ ने इंडियन रिजर्व फोर्स के कैंप से हथियार और गोला बारूद लूटने की कोशिश की। फोर्स के जवानों ने हवाई फायरिंग की, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई। भीड़ ने खंगाबोक इलाके में जब सुरक्षा बल के शिविर पर हमला किया, तो पहले आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियां चलाई गईं। तभी भीड़ ने भी हमला किया और फायरिंग की। सुरक्षा बल की फायरिंग में एक दंगाई की मौत हो गई। असम राइफल्स का एक जवान भी घायल हुआ है। दस दंगाइयों को घायल होने से अस्पताल में भर्ती किया गया है। रैपिड एक्शन फोर्स, असम राइफल्स की टुकडिय़ों को भेजा गया है। तीन मई से शुरू हुई हिंसा में अब तक सौ से ज्यादा लोग मारे गए हैं। हजारों लोग शिविर में रखे गए हैं। मणिपुर की मैतेई जनजाति 53 फीसद है। ये गैर जनजाति समुदाय के हैं। कुकी और नगा आदिवासी चालीस फीसद हैं। मैतेई सिर्फ घाटी में ही बस सकते हैं। दस फीसद घाटी, 90 फीसद पहाड़ी इलाका है। घाटी में बसे मैतेई पहाड़ों में नहीं बस सकते हैं। न ही जमीन-मकान खरीद सकते हैं। चालीस फीसद आबादी का 90 फीसद पहाड़ी इलाकों पर कब्जा है। यही झगड़े की जड़ है।