सीधी। सालभर पहले हुए पेशाब-कांड को तो आदिवासी दसमत भुला चुका था, लेकिन बीते चार दिन से जारी तमाशे ने दसमत की नींद हराम कर दी है। वो डरा हुआ है कि अगर उसे अगवा कर पीटा गया, तो कौन जिम्मेदार होगा। बोला कि अभी तो नेता भी आ रहे हैं, पुलिस भी घर पर खड़ी है, लेकिन कुछ दिन बाद क्या होगा। दशमत ने बताया कि जब वो सब हुआ था, तब मैंने पत्नी तक को नहीं बताया था। खुद भी यह सोच कर भूल गया था कि चलो, कोई बात नहीं। ब्राह्मण आदमी है, जो कर दिया, सो कर दिया। मैंने तो शिकायत तक नहीं की थी। ना तो मेरा प्रवेश से कोई झगड़ा था और ना ही कोई पुरानी रंजिश। उसने तो बस नशे में कर दिया।
प्रवेश के साथी ने बनाया था वीडियो
उस दिन उसके साथ आदर्श शुक्ला और दीप नारायण साहू भी थे। साहू ने वीडियो बनाया था। पिछले दस दिन से वह हमारे इलाके में सबके मोबाइल में चल रहा था। मुझे भी दिखाया गया। मैं तो सबसे कह रहा था कि ये मैं हूं ही नहीं, लेकिन गांववाले पहचान गए थे। वो मुझे रोज कहते थे कि तू ही है। प्रवेश कुबरी में रहता है और मैं करौंदी में। यहां पास में एक बाजार है, जहां सब आते-जाते हैं। कई बार उससे मेरा सामना हुआ, लेकिन न कभी उसने कुछ कहा और न मैंने। दशमत घर आ गया है, लेकिन वो और परिवार डरे हुए हैं। चाहते हैं कि सब भीड़ चली जाए। पुलिस जरूर ध्यान रखे, क्योंकि आसपास के गांवों में ऊंची जात वाले रहते हैं। उधर, प्रवेश के पिता का कहना है कि मेरा घर क्यों तोड़ा गया। इसे तो पत्नी के परिवारवालों ने बनवाया था।
ब्राह्मण समाज नाराज , कोर्ट पहुंचे
सीधी मे यहां हुए पेशाब-कांड के बाद हुई बुलडोजर कार्रवाई पर ब्राह्मण समाज गुस्सा है। मध्यप्रदेश सरकार के खिलाफ बोल रहे हैं। दलील है कि प्रवेश शुक्ला ने गलती की, तो उसकी सजा पूरे परिवार को क्यों दी गई। हम भी उसकी हरकत को गलत मानते हैं, लेकिन परिवार का क्या कसूर। पिता और चाचा की बनाई संपत्ति क्यों ढहाई गई। म.प्र. ब्राह्मण समाज के लोगों ने चंदा कर शुक्ला परिवार की मदद की है। सीधी के जिलाध्यक्ष राकेश दुबे ने पूरी टीम के साथ जाकर 51 हजार रुपए प्रवेश के परिवार को दिए। मकान तोड़े जाने के खिलाफ हाइकोर्ट में याचिका भी लगा दी है। प्रदेश अध्यक्ष पं. पुष्पेंद्र मिश्र के दस्तखत वाला लेटर आम हो रहा है। इसी पर 51 हजार रुपए और कोर्ट में याचिका लगाने की बात लिखी गई है।