इंदौर। पिछले चार महीने से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ‘लाड़ली बहना’ योजना के प्रचार-प्रसार के लिए अब तक 17 जिलों में बड़े इवेंट कर चुके हैं। इसमें जबलपुर में पहली किश्त डालने के लिए सजे मजमे और कल इंदौर में दूसरी किश्त के कार्यक्रम पर अब तक सरकार कुल 33 करोड़ 84 लाख रुपए खर्च कर चुकी है। ये पैसा महिला बाल विकास के बजट से दिया गया।
पटवारी ने किया सवाल
विधानसभा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने सवाल पूछा था, जिसके जवाब में ये खुलासा हुआ। पटवारी ने सवाल पूछा था कि 10 जून, 2023 को जबलपुर से जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक क्लिक पर महिलाओं के खाते में लाड़ली बहना योजना का पैसा डाला था तो कुल कितना खर्च हुआ और कितना पैसा महिलाओं के अकाउंट में डाला। किस-किस बैंक से राशि आवंटित की गई।
मुख्यमंत्री का जवाब
इसके जवाब में मुख्यमंत्री के दफ्तर से जो सरकारी कागज भेजा है, उसके मुताबिक 1 करोड़ 11 लाख महिलाओं के खाते में पहली खेप का पैसा डाला गया है। इसके बाद बताया कि मुख्यमंत्री जिन 17 जिलों में मेहमान बनकर गए थे, वहां अलग-अलग इवेंट में योजना कोड 7660 के चलते 33 करोड़ 84 लाख 35 हजार 289 रुपए खर्च किए गए। ये पैसा महिला बाल विकास की मद से दिया गया, जिसे जनसंपर्क विभाग ने खर्च किया। इसमें कल इंदौर में हुए कार्यक्रम के खर्च की जानकारी नहीं थी। पटवारी ने स्वेच्छा अनुदान को लेकर भी एक सवाल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से पूछा था। उसमें पूछा गया था कि वर्ष 2022-23 में स्वेच्छा अनुदान देने की लिमिट जब दो लाख रुपए तय की गई थी तो खर्च 164 करोड़ रुपए कैसे हो गया, जबकि ये पैसा सिर्फ 2812 मामलों में ही दिया गया। इसके मुताबिक तो हर प्रकरण में 5 लाख 80 हजार रुपए खर्च कर दिए गए। पटवारी का कहना है कि हर बरस एक वार्षिक प्रतिवेदन (नियमावली) निकाली जाती है, जिसमें सीएम ही तय करते हैं कि स्वेच्छा अनुदान से कितना पैसा दिया जा सकता है। अब मुख्यमंत्री इलाज और मदद में भी भेदभाव कर रहे हैं। पूरी जानकारी देने से बच रहे हैं। विधानसभा में मुझे जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक 2022-23 में दो सौ करोड़ का बजट तय किया गया था, जिसमें से करीब 190 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए, लेकिन बड़ा घोटाला ये है कि मद से ज्यादा पैसा अपने लोगों को दे दिया। जब लिमिट तय थी तो मुख्यमंत्री अपनी मर्जी के मुताबिक एक-एक प्रकरण में पांच-पांच लाख रुपए किस नियम से बांट रहे थे।