नई दिल्ली। भाजपा की दिल्ली हाईकमान ने मध्यप्रदेश में पुराने सीएम चेहरे पर जो भरोसा बरकरार है, वह राजस्थान में डगमगा चुका है। एमपी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ही सीएम-चे हरा होंगे, लेकिन राजस्थान में भाजपा इस बार बिना चेहरे के उतरेगी। महीने भर पहले म.प्र. भाजपा में मची खींचतान के चलते शिवराज की अगुवाई पर भी सवाल उठ रहे थे, लेकिन जिस तरह से उन्होंने वीडी शर्मा, नरोत्तम मिश्रा, कैलाश विजयवर्गीय जैसे सभी नेताओं को साधा है, उन्हें चेहरा मान लिया गया है।
लाडली बहना..मास्टर स्ट्रोक
‘लाड़ली बहना योजना’ भी मास्टर-स्ट्रोक साबित हुई है। इंदौर और जबलपुर में हुए कार्यक्रम में जो भीड़ उमड़ी थी, उसने भोपाल से लेकर दिल्ली तक की बांछें खिला दीं। सोशल मीडिया पर जारी फोटो-वीडियो तो चीख ही रहे थे… चौराहों, नुक्कड़ों पर भी बातें होने लगी हैं कि हमें तो मामा पर ही भरोसा है। अलग-अलग मंचों पर नरोत्तम, वीडी, विजयवर्गीय सहित कई दिग्गज मान रहे हैं कि शिवराज की अगुवाई में ही चुनाव लड़ेंगे। दिल्ली से भेजे गए भूपेंद्र यादव और नरेंद्र सिंह तोमर भी शिवराज पर राजी हैं। इन सबकी रजामंदी के बाद अमित शाह भी मामा को ही मुखिया मान चुके हैं।
राजस्थान मे चेहरा नही !
‘इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक राजस्थान में जेपी नड्डा की अगुवाई में सब मिल कर काम करेंगे। गुजरात के उप-मुख्यमंत्री नितिन पटेल और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी को वहां काम पर लगा दिया गया है। बहुमत आने के बाद ही सीएम-चेहरे पर बात होगी। वसुंधरा राजे भी जानती हैं कि उनकी जमीन हिली हुई है। लिहाजा, किसी जिद की हालत में नहीं हैं। जैसा पार्टी कह रही है, करती जा रही हैं। वसुंधरा के विरोधी-गुट को भी समझा दिया गया है कि एक होकर काम करो… चुनाव के बाद सब देखा जाएगा। सीएम अशोक गेहलोत और सचिन पायलट की दोस्ती ने भाजपा के माथे पर सिलवटें बढ़ा दी हैं। जब तक इन दोनों में तकरार चल रही थी, भाजपा को जीत नजर आ रही थी।