इस तेज गति से दौड़ती हुई दुनिया के बीच शामिल होकर जाने अंजाने हम भी इस रेस का कहीं ना कहीं हिस्सा बन जाते हैं। इस भागदौड़ में कई बार हमारा हमारी इंद्रियों पर कोई वश नहीं रहता। हम इतनी तेजी से इनका इस्तेमाल कर रहे होते हैं, कि हमें इस बात का अंदाजा ही नहीं रहता कि हमने इनका सचेत उपयोग करना छोड़ दिया। और ये विभिन्न परिस्थितियों मे हमारे सामने भी आता रहता है जहां हमें इस बात की अनुभूति होती है, मगर हम इन पर उतना गौर नहीं करते। और गौर करना बहुत जरूरी है, क्यूंकि इसका सीधा जुड़ाव हमारे मषतिष्क से होता है, और इनमे सबसे कमजोर साबित होती है हमारी श्रवण क्षमता। हम अपने विचारों मे इतना उलझे रहते हैं कि हमें फुरसत नहीं रहती कि किसी और के विचारों को सुनें, उन्हें समझे, उनसे कुछ सीखें। इसी सब के बीच एक ऐसे आविष्कार ने जन्म लिया, जिसने देर सवेर ही सही, पर दुनिया को अपनी आवाज़ सुनाने पर मजबूर तो नही पर उत्सुक जरूर कर दिया। हम यहां बात कर रहे हैं पॉडकास्ट की, एक विषय जिसका वर्णन हर किसी को दिलचस्पी से भर देता है।
पॉडकास्ट का जन्म, 21वीं शताब्दी की शुरुवात के समय हुआ। उससे पहले पॉडकास्ट जैसा कोई शब्द अस्तित्व में नही था। “पॉडकास्ट” शब्द बना है दो शब्दों से, आइपॉड और ब्रॉडकास्ट। एप्पल के आईपॉड के आविष्कार के बाद इस आधुनिक तकनीक ने जन्म लिया और सिर्फ ज्ञान ही नही, बल्कि मनोरंजन की दुनिया में भी मजबूती से अपने कदम जमा लिए।
पहला पॉडकास्ट 2004 में शुरू हुआ। यह किसी स्क्रिप्ट के हिसाब से लिखी हुई नही बल्कि वास्तव में लोगों की उनके जीवन, उनके काम या उनकी रुचियों के बारे में बात करने की ऑडियो रिकॉर्डिंग्स थी, जिन्हें ऑडियो ब्लॉग कहा गया। धीरे धीरे इसने अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया और इसकी अनेक संभावनाएं हमारे समक्ष प्रस्तुत होने लगी, जिसके बाद एप्पल ही नही बल्कि दूसरे ऐप्स ने इस तकनीक का इस्तेमाल लोगों तक ज्ञान और मनोरंजन पहुंचाने में किया। सिर्फ असल जिंदगी और तकनीकी ही नही, बल्कि किस्से कहानियों की दुनिया में भी उसने अपनी भागीदारी बखूबी निभाई। फिक्शन पॉडकास्टिंग के जरिए कई कलाकारों को अपनी लिखी कहानियां सुनाने का मौका मिला। इस तकनीक ने जितना श्रोताओं का फायदा किया है, उतना ही कहानिकारों का भी। वीडियो फॉर्मेट के मुकाबले ऑडियो फॉर्मेट में लागत और समय दोनो की ही बचत होती है, जिसके कारण कहानिकारो के लिए काफी आसान हो जाता है अपनी रचनाओं को लोगों के सामने लाना।
आज पॉडकास्ट किसी पहचान का मोहताज नहीं रह गया है। इसने हमारी और वास्तविक दुनिया के बीच की दूरी को और भी कम किया है। हमें सिर्फ इंटरनेट पर “पॉडकास्ट” टाइप करने की आवश्यकता है, और हमारे समक्ष हजारों विकल्प प्रस्तुत कर दिए जाएंगे। अपने सारे दैनिक कार्य को करते हुए भी इनका आनंद ले सकते हैं। भारत में निखिल कामत, राज शमानी, रणवीर अल्लाहाबादिया और विनम्र कसाना टॉप पॉडकास्टर्स बनकर उभरे हैं जिन्हे लोग काफी पसंद कर रहे हैं। अगर आप फिक्शनल पॉडकास्ट सुनना चाहते हैं तो आपको एप्पल पॉडकास्ट और स्पोटिफाई ऐप पर कई ऑप्शन मिल जाएंगे। इनमे कुछ प्रमुख उदाहरण हैं लाइमटाउन, टावर 4, शिपवर्म, कॉल्स और पैसेंजर्स लिस्ट। अगर अभी तक आपने पॉडकास्ट नहीं सुने तो, हम आपसे आग्रह करना चाहेंगे की आप इन्हे जरूर सुने, और यदि आप पॉडकास्ट सुनते हैं, तो हमें अपने पसंदीदा पॉडकास्ट कॉमेंट सेक्शन में जरूर बताएं।