हम अक्सर देखते है की आज कल बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता है, लेकिन यह कोई नई बात नहीं है ऐसे बहुत से बच्चे हैं जिन्हें पढ़ाई करना एक सजा लगती है, और खेलकूद की तरफ ही पूरा ध्यान रहता है। हालांकि इसमें बच्चों की भी गलती नहीं है। आखिर बाहर दोस्तों के शोर-शराबे और हंसी-ठिठोली में कौन शामिल नहीं होना चाहता है। लेकिन बच्चों का ना पढ़ना माता-पिता की चिंता बढ़ा देता है। इसके लिए क्या करे जिस वक्त बच्चा पढ़ाई कर रहा हो आप उस समय उसके पास बैठ सकते हैं और कोशिश करें कि आप बच्चों की टेंशन ना बढ़ाएं। कहने का मकसद यह है कि बच्चों के साथ यदि माता-पिता बैठते है, तो बच्चों का पढ़ने में मन लगता है। कभी भी बच्चों को पढ़ाते समय डांटना नहीं चाहिए क्योकि बच्चे डर जाते है, और पढ़ाई से उनका ध्यान एकदम हट जाता है।
माता-पिता बच्चों को अपने साथ लेकर पढ़ने बैठे
माता-पिता को हमेशा बच्चों को अपने साथ बैठा कर पढ़ना चाहिए, जिसे उनका मन पढ़ने में लगे और अच्छे से पढ़ाई कर पाए। माता-पिता को इस बात का ध्यान रखना चाहिेए की बच्चों को पढ़ाई का ज्यादा टेंशन ना हो हमेशा टेंशन फ्री रहे ताकि वह अपना पूरा ध्यान अपनी पढ़ाई में लगाए।
पढ़ाई करने के लिए एक समय फिक्स करे
रोजाना अगर एक ही समय पर बच्चा पढ़ने बैठता है तो उसे हर रोज उसी समय पर पढ़ने की आदत बन जाती है। जो हर दिन की आदत बनने लगती है, और साथ ही कोशिश करें कि बच्चे इसी शेड्यूल के मुताबिक प्रतिदिन पढ़े। साथ ही, बच्चों के पढ़ाई के साथ–साथ खेलने का भी टाइम टेबल बनाएं और उसी टाइम टेबल के हिसाब से सारे काम करे।
शोर शराबे से दूर रखें
माता-पिता कोशिश करें कि बच्चे जहां बैठकर पढ़ रहे है वहां उसे ज्यादा शोर-शराबा ना सुनाई। यदि ज्यादा शोर-शराबे में बैठकर बच्चा पढ़ाई करने बैठेगा तो बच्चे का ध्यान पढ़ाई में नहीं लगेगा। बच्चों की पढ़ाई के लिए जितना शांत माहौल होगा उतना अच्छा होता है।
शॉर्ट ब्रेक्स दें
अगर आपने 2 घंटे का समय पढ़ने के लिए निकाला है तो बच्चों को इन 2 घंटों में लगातार पढ़ने के लिए ना कहें। इसके अलावा बीच-बीच में शॉर्ट ब्रेक्स दें। बच्चे को पीने के लिए जूस या खाने के लिए फल और सलाद वगैरह भी दें जिससे उसका ध्यान पढ़ाई में रहे और उसे भूख-प्यास महसूस ना हो।