भारतीयों के साथ साथ भारतीय मूल के व्यक्ती भी दुनिया भर में भारत का नाम और बढ़ा रहे हैं। इसी कड़ी मे मुंबई मे जन्मे दो वैज्ञानिकों ने साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र मे भी भारतीय झंडा गाड़ा दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने दो भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिकों – अशोक गाडगिल और सुब्रा सुरेश को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए देश के सर्वोच्च वैज्ञानिक पुरस्कार से सम्मानित किया है।
बिडेन ने मंगलवार को दुनिया भर के समुदायों को जीवन-निर्वाह संसाधन प्रदान करने के लिए दोनों वैज्ञानिकों को ये अवॉर्ड दिया।
बाइडेन ने कहा कि इस साल पुरस्कार पाने वालों के लिए ‘उत्कृष्ट’ शब्द छोटा है। ये सभी असाधारण हैं। इन लोगों ने देश की क्षमता का विकास करने के लिए अपनी खोज से वैज्ञानिकों और इनोवेटर्स की एक पीढ़ी के लिए आगे बढ़ने का रास्ता बनाया है।
क्यूं खास है ये अवॉर्ड
अमेरिकी कांग्रेस द्वारा 1959 में स्थापित राष्ट्रीय विज्ञान पदक सीधे राष्ट्रपति कि तरफ से दिया जाता है। यह देश की तरफ से वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है। अमेरिका के आर्थिक, पर्यावरण और सामाजिक कल्याण में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने में उत्कृष्ट योगदान के लिए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी एवं नवाचार मेडल दिया जाता है। इसी लिये ये काफी महत्वपूर्ण सम्मान है।
दोनों वैज्ञानिकों का है मुंबई कनेक्शन
अशोक गाडगिल का जन्म मुंबई में हुआ था। इन्होनें विकासशील दुनिया की कुछ सबसे कठिन समस्याओं के लिए कम लागत वाले समाधान विकसित किए हैं, जिनमें सुरक्षित पेयजल तकनीक, ऊर्जा-कुशल स्टोव और कुशल विद्युत प्रकाश व्यवस्था को किफायती बनाने के तरीके शामिल हैं। वर्तमान में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में प्रोफेसर और लॉरेंस बर्कले नेशनल लेबोरेटरी के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत हैं।
उनकी तारीफ मे व्हाइट हाउस की ओर से कहा गया, “गाडगिल का काम सभी लोगों की गरिमा और हमारे समय की बड़ी चुनौतियों को हल करने की हमारी शक्ति में विश्वास से प्रेरित है।”
मुंबई में जन्मे सुरेश सुब्रा ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास से बीटेक की डिग्री पूरी की बाद में, उन्होंने आयोवा स्टेट यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री और कैम्ब्रिज में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी प्राप्त की। सुब्रा सुरेश ब्राउन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में प्रोफेसर हैं। इन्हें इंजीनियरिंग, भौतिक विज्ञान और जीवन विज्ञान में रिसर्च और विशेष रूप से मटेरियल साइंस की स्टडी और अन्य विषयों में इसके अनुप्रयोग को आगे बढ़ाने के लिए पदक से सम्मानित किया गया। सुरेश एमआईटी के पांच स्कूलों में से किसी का नेतृत्व करने वाले पहले एशियाई मूल के प्रोफेसर हैं।