चंबल/इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी में अपनी राजनीतिक कौशल का परचम लहराने वाले भरत चौधरी इन दिनों चंबल की गलियों में घूम रहे। गांव-कस्बों में घूम-घूमकर वह बीजेपी की टेंशन बढ़ा रहे हैं। भरत अपने पिता राकेश चौधरी के लिए वोट मांग रहे हैं। उन्होंने इंग्लैंड में पढ़ाई की है। इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान भरत, अंग्रेजों को पछाड़ चुके हैं। उन्होंने छात्र संघ के चुनाव में अंग्रेज छात्रों को मात दी थी। उसी चुनावी कौशल का उपयोग अपने पिता के लिए कर रहे हैं। उनके पिता कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे हैं। भरत चौधरी कोई और नहीं, बल्कि कांग्रेस के भिंड विधानसभा सीट से प्रत्याशी राकेश चौधरी के बेटे हैं। वह इन दिनों अपने पिता के चुनावी अभियान में मदद करने आए हैं। पिता के लिए प्रचार कर रहे भरत चौधरी लोगों के बीच में जा रहे हैं। साथ ही पिता के लिए वोट मांग रहे हैं। वहीं, भरत चौधरी ने अभी तक राजनीति में आने का तो निर्णय नहीं किया है, लेकिन राजनीति उन्हें विरासत में ही मिली है। भरत चौधरी के दादा दिलीप चौधरी 1955 में लखनऊ यूनिवर्सिटी में प्रेसिडेंट का चुनाव जीते थे, जहां से चौधरी घराने की राजनीतिक शुरुआत हुई थी।
अंग्रेजों को हराकर प्रेसिडेंट चुने गए
भरत चौधरी के पिता राकेश चौधरी भिंड विधानसभा से अब तक 6 बार चुनाव लड़ चुके हैं और इस बार सातवीं दफा चुनाव मैदान में हैं। इसके साथ ही राकेश चौधरी कांग्रेस शासन काल में मंत्री भी रह चुके हैं। अपने पिता की तरह कुशल राजनीतिज्ञ होने की झलक भरत चौधरी में भी दिखाई देती है। भरत चौधरी ने इंग्लैंड की एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी में प्रेसिडेंट का चुनाव लड़ा। अंग्रेजों को हराकर प्रेसिडेंट चुने गए थे। इसके बाद भरत चौधरी एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट ट्रस्टी भी चुने गए। वहीं, यूनिवर्सिटी के अनुभव को लेकर भरत चौधरी जब भारत वापस लौटे तो उन्होंने अपने पिता के साथ राजनीति में सहयोग करना शुरू कर दिया। कुछ दिनों पहले जब शिक्षक भर्ती घोटाला और दिव्यांग प्रमाण-पत्र घोटाला सामने आया तो भरत चौधरी ने युवाओं के साथ मिलकर जिला मुख्यालय पर विशाल बाइक रैली निकालकर प्रदर्शन किया। साथ ही मंझे हुए नेता की तरह संबोधन भी दिया।
राजनीति का गुरु मंत्र सीख रहे
कांग्रेस ने भरत चौधरी के पिता राकेश चौधरी को अपना प्रत्याशी बनाकर भिंड विधानसभा से चुनाव मैदान में उतारा है। भरत चौधरी अपने पिता का साथ देने के लिए भिंड की सड़कों पर उतर आए हैं। भरत चौधरी चुनाव अभियान में अपने पिता की मदद करते हुए लोगों के बीच पहुंच रहे हैं। साथ ही पिता के लिए वोट मांग रहे हैं। इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी से चंबल के राजनीति में आ चुके भरत चौधरी ने फिलहाल अपनी राजनीतिक भविष्य के बारे में कोई विचार नहीं किया है, लेकिन इस वक्त राजनीति में पूरी तरह रम गए हैं। उनके दिन के 24 घंटे अब राजनीति में ही गुजर रहे हैं और वे अपने पिता से ही राजनीति का गुरु मंत्र सीख रहे हैं।