7 नवंबर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने पूर्व IAS अफसर Heeralal Samariya को मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) के पद के लिए शपथ दिलवाई। जिसके बाद कांग्रेस के सांसद Adhir Ranjan Chowdhury ने कहा कि इस आयुक्ति के बारे में पूरी तरह से अंधेरे में रखा गया था।
राष्ट्रपति को दिए हुए पत्र में, प्रधान मंत्री द्वारा नियंत्रित चयन समिति के विपक्षी सदस्य ने आरोप लगाते हुए कहा कि, सरकार ने CIC के चयन के बारे में ना ही तो विचार-विमर्श किया और ना ही सूचना दी।
Samariya पहले दलित है जो इस पद में चुने गए है। Samariya पहले पारदर्शिता पैनल केंद्रीय सूचना आयोग में बतौर सूचना आयुक्त काम किया करते थे।
Indian Express की रिपोर्ट के अनुसार, ‘Ranjan ने अपने पत्र में कहा कि, लोक सभा में सबसे पड़ी विपक्षीय दल के नेता होने के नाते चयन समिति होने के बावजूद, 3 नवंबर को प्रधान मंत्री के रहवास में CIC के चयन के लिए हुई बैठक के बारे में अंधेरे में रखा गया था। तथ्य यह है कि बैठक के कुछ ही घंटो के भीतर, जिसमे सिर्फ प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ही उपस्थित थे, और चयन समिति के प्रणामिक विपक्षीय चेहरा के रूप में मैं ही हूं, उपस्थित नहीं था, चुने हुए उम्मीदवारो के नामो की कार्यालय में घोषणा, अधिसूचित और शपथ दिलाना, इन सब से ऐसा प्रतीत होता है कि पूरा चयन अभ्यास पूर्वनिर्धारित था।’
बता दे की उच्च न्यायालय ने 30 अक्टूबर से केंद्रीय और राज्य सरकार को इस पद की पूर्ति करने के लिए कहा था और ऐसा न होने पर सूचना अधिकार पर 2005 कानून ‘मृत पत्र’ बन जाता है।