वर्ल्ड कप 2023 अपने सेमीफाइनल स्टेज मे लगभग पहुंच गया लीग के बस दो मैच ही बाकी है। रचीन रविन्द्र फिलहाल रनों के मामले मे सबसे आगे है। लेकिन जिस पारी से लोग अब तक विस्मय मे है वो थी अफगानिस्तान के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया के स्टार ग्लेन मैक्सवेल की दोहरे शतक वाली पारी जो आईसीसी क्रिकेट विश्व कप में सर्वकालिक महानतम पारी में से एक है।
विश्व कप एक ऐसा बड़ा इवेंट है जहां टीमों और खिलाड़ियों का प्रदर्शन हमेशा के लिए अमर हो जाता है। जब कोई बल्लेबाज ऐसी पारी खेलता है जो खेल के संदर्भ में महत्वपूर्ण होती है, अपनी टीम को मैच जिताती है या मैच के नतीजे में महत्वपूर्ण होती है, तो ऐसी पारी विश्व कप की सबसे बड़ी पारी का हिस्सा होती है। पारी में शतक या अर्धशतक होना जरूरी नहीं है, बस खेल के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण पारी होनी चाहिए, जिसने मैच के नतीजे को प्रभावित किया हो, आज हम बात करेंगे वर्ल्ड कप की ऐसी ही टॉप 10 पारियों के बारे मे।
1. ग्लेन मैक्सवेल (201*)
दुनिया भर मे बिग शो के नाम से मशहूर मैक्सवेल ने अफगानिस्तान के खिलाफ 2023 विश्व कप मे दोहरा शतक लगाकर पूरे क्रिकेट जगत को अपना दीवाना बना दिया। मात्र 91 रनों मे 7 विकेट खो चुकी ऑस्ट्रेलिया को पार लगाने का काम मैक्सवेल ने अपने हाथ मे लिया और सिर्फ़ 128 गेंदों पर 201 रन की नाबाद पारी खेल ऑस्ट्रेलिया को जीत दिला दी। इस पारी के दौरान वे cramp और थकान से जूझ रहे थे लेकिन उन्होंने इन चीजों को अपने लक्ष्य के आड़े नहीं आने दिया और व्हाइट बॉल क्रिकेट मे दोहरा शतक लगाने वाले पहले ऑस्ट्रेलियन बल्लेबाज बन गये।
2. कपिल देव (175*)
भारत के शायद विश्व कप के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण पारियों में से एक तब आयी जब भारत का सामना जिम्बाब्वे से हुआ। भारत ने पहले बल्लेबाजी की और जिम्बाब्वे ने सुबह की स्विंग का इस्तेमाल करते हुए भारत के शीर्ष क्रम को ध्वस्त कर दिया, जिससे वह 17/5 से पिछड़ गया। इसके बाद कप्तान कपिल देव ने न केवल विश्व कप की, बल्कि वनडे क्रिकेट इतिहास की सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक पारी खेली। कप्तान और 22 रन बनाने वाले रोजर बिन्नी ने आउट होने से पहले मिलकर 60 रन जोड़े। मदन लाल ने 17 रन बनाकर कपिल का कुछ साथ दिया, लेकिन सबसे बड़ा साथ विकेटकीपर सैयद किरमानी ने दिया। किरमानी ने 56 गेंदों में 24 रन बनाए, जबकि कपिल देव जिम्बाब्वे के गेंदबाजों पर टूट पड़े।
कपिल 138 गेंदों पर 175* रन बनाकर नाबाद थे, जिसमें 16 चौके और 6 बड़े छक्के शामिल थे। यह भारत का पहला वनडे और विश्व कप शतक और उस समय का सर्वोच्च वनडे स्कोर था। भारत ने जिम्बाब्वे को 235 रन पर आउट कर दिया, जिसमें मदन लाल ने 42 रन देकर 3 विकेट लिए, वहीं कपिल ने भी 32 रन देकर 1 विकेट लिया। यह पारी भारत को सेमीफाइनल में ले गई जहां उन्होंने इंग्लैंड को हराया और अंततः फाइनल जीत इतिहास रच दिया।
3. एमएस धोनी (91*)
ये पारी आयी थी विश्व कप 2011 के फाइनल मैच में। मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में फाइनल में महेला जयवर्धने के 103 रन की बदौलत श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 274 रन बनाए। भारत ने 0 पर सहवाग और 18 रन पर सचिन का विकेट खो दिया। विराट कोहली और गौतम गंभीर ने 83 रन जोड़कर पारी को एकजुटता प्रदान की लेकिन कोहली का विकेट गिरने के बाद फॉर्म से बाहर चल रहे भारतीय कप्तान एमएस धोनी आश्चर्यजनक रूप से फॉर्म में चल रहे युवराज सिंह से पहले आ गये। धोनी और गंभीर की 109 रन की साझेदारी ने भारत को दूसरे विश्व खिताब की ओर अग्रसर किया। गंभीर के शतक से 3 रन पीछे रह जाने के बाद, धोनी ने युवराज के साथ मिलकर लक्ष्य का पीछा तेज किया और विजयी रन बनाकर 91* रन तक पहुंच गए और भारत को विश्व कप 2011 जिताया।
4. गौतम गंभीर (97)
हालांकि हर कोई 2011 विश्व कप फाइनल में धोनी की विशेष पारी के बारे में बात करता है, लेकिन हर किसी को गंभीर द्वारा खेली गई पारी के महत्व को याद नहीं है। यदि भारत के लिए मैच जीतने के लिए धोनी की पारी महत्वपूर्ण थी, तो गंभीर ने धोनी को वे रन बनाने और विजयी छक्का लगाने के लिए मंच प्रदान किया। सहवाग के पहले ओवर में शून्य पर आउट होने के बाद वह पहले ओवर की तीसरी गेंद पर आए। इसके बाद गंभीर ने सचिन को खो दिया, लेकिन कोहली के साथ, उन्होंने रन रेट को नियंत्रण में रखने के लिए रन बनाना जारी रखा और युवा कोहली को अपना स्वाभाविक खेल खेलने देने के लिए सभी दबाव झेले। यहां तक कि जब धोनी आए तो उन्होंने उन्हें आगे बढ़ने दिया और तेजी से रन बनाते रहे। उन्होंने रन रेट बढ़ाने की कोशिश में अपना विकेट भी गंवा दिया। उन्हें परेरा ने 97 रन पर बोल्ड कर दिया, जो एक अच्छे और मैच जिताने वाले शतक से 3 रन कम थे।
उन्होंने धोनी को वह मंच दिया जिसकी उन्हें जरूरत थी। गौतम गंभीर की 97 रन की निस्वार्थ पारी धोनी की 91* रन की तुलना में अधिक प्रशंसा की हकदार है।
5. एडम गिलक्रिस्ट (149)
ऑस्ट्रेलिया 2007 विश्व कप के फाइनल में श्रीलंका से लगातार तीसरा और कुल मिलाकर चौथा खिताब जीतने मे कामयाब रहा था। ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी की और उसी तरह की शुरुआत की जो उन्हें टूर्नामेंट में मिल रही थी, केवल एक चीज अलग थी कि एडम गिलक्रिस्ट जो टूर्नामेंट में शांत थे, उन्होंने आत्मविश्वास के साथ विस्फोट किया। बारिश से बाधित 38 ओवर के मैच में गिलक्रिस्ट ने श्रीलंकाई गेंदबाजी की धज्जियां उड़ाते हुए 13 चौकों और 8 छक्कों की मदद से 104 गेंदों पर 149 रन बनाए। जब वह आउट हुए तो ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 30 ओवर में 224 रन था। गिलक्रिस्ट को उनके शतक के लिए मैन ऑफ द फाइनल चुना गया।
6. रिकी पोंटिंग (140*)
2007 विश्व कप फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ एडम गिलक्रिस्ट के विस्फोट से पहले, ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग ने 2003 विश्व कप फाइनल में भारतीय गेंदबाजों के साथ खिलवाड़ जैसा ही कुछ किया था।
भारत बेहद शानदार प्रदर्शन के दम पर 2003 विश्व कप के फाइनल में पहुंचा था। जोबर्ग स्टेडियम की हरी पिच देखकर भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने लोकप्रिय और विशेषज्ञों की राय के बावजूद पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया। भारतीय गेंदबाज़ों ने पूरी पिच पर गेंद फेंकी, या तो शॉर्ट गेंदबाज़ी की या फिर बहुत ज़्यादा फुल गेंदबाज़ी की।
पहले मैथ्यू हेडन और फिर रिकी पोंटिंग ने भारत की गेंदबाज़ी का फायदा उठाते हुए 359/2 का स्कोर बनाया। पोंटिंग ने 4 चौकों और 8 छक्कों सहित 140* रन बनाए। डेमियन मार्टिन ने 88 रन बनाकर भारतीय गेंदबाजी की हालत खराब कर दी। भारतीय बल्लेबाजी फाइनल में 360 रन के लक्ष्य का दबाव नहीं झेल सकी और 234 रन पर आउट हो गई और 125 रन से हार गई। सहवाग ने सर्वाधिक 82 रन बनाए और रिकी पोंटिंग को 140* रन के लिए मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार भी मिला।
7. एंड्रयू स्ट्रॉस (158)
2011 विश्व कप में, भारत और इंग्लैंड के विश्व कप इतिहास के सबसे अद्भुत मैचों में से एक था। भारत ने पहले बल्लेबाजी की और सचिन तेंदुलकर के 120 रनों की बदौलत 338 रन बनाए। इंग्लैंड के लक्ष्य का पीछा उनके कप्तान एंड्रयू स्ट्रॉस ने केविन पीटरसन और इयान बेल (69) के साथ मिलकर भारतीय गेंदबाजों का मुकाबला किया।स्ट्रॉस ने 158 रन बनाकर इंग्लैंड को लगभग समाप्ति रेखा तक पहुँचा ही दिया था। लेकिन मैच ड्रॉ रहा। हालांकि स्ट्रॉस को उनकी शानदार और लगभग मैच जिताने वाली 158 रनों की पारी के लिए मैन ऑफ द मैच मिला।
8. इंजमाम-उल-हक (60)
1992 का विश्व कप कई मायनों में अनोखा था। रंगीन कपड़े, लाइट के नीचे मैच, सफेद गेंदों का उपयोग, तीसरे अंपायर और उपयोग में आने वाले टीवी रीप्ले ने इस विश्व कप को दर्शकों के लिए एक मनोरंजन बना दिया। लेकिन ये वर्ल्ड कप पाकिस्तान के लिए बेहद ख़ास रहा। ऑकलैंड में सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड और पाकिस्तान की भिड़ंत हुई। न्यूजीलैंड ने मार्टिन क्रो के 91 रन की मदद से 262 रन बनाए। जब पाकिस्तान ने लक्ष्य का पीछा करना शुरू किया तो मार्टिन क्रो के पैर में चोट लग गई और उन्हें पवेलियन लौटना पड़ा और जॉन राइट ने कप्तान की भूमिका निभाई। इससे पाकिस्तान को 140/4 से आगे होने के बाद खेल में वापसी करने का मौका मिला।
जीत का बेड़ा उठाये दुबले-पतले इंजमाम ने एक बेहद शानदार पारी खेलते हुए 37 गेंदों में 60 रन बनाए। इस पारी ने पाकिस्तान को 1992 विश्व कप के फाइनल में पहुंचाया।
9. सनथ जयसूर्या (82)
श्रीलंका को 1996 विश्व कप के खिताब की राह पर इंग्लैंड खड़ी थी इंग्लैंड ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी की। उन्होंने 235 रन का मामूली स्कोर बनाया। श्रीलंकाई जवाब का नेतृत्व सनथ जयसूर्या की 82 रनों की तूफानी पारी ने किया। उन्होंने 44 गेंदों पर 13 चौकों और 3 छक्कों की मदद से 82 रन बनाए। श्रीलंका ने 5 विकेट से मैच जीत लिया। लेकिन स्टार और मैन ऑफ द मैच सनथ जयसूर्या रहे, जिनकी पारी ने इंग्लैंड के गेंदबाजों को इतना बेअसर कर दिया कि उनके आउट होने के बाद भी वे बाकी बल्लेबाजों पर दबाव नहीं बना पाए और अंततः श्रीलंका को जीतने से नहीं रोक सके।
10. केविन ओ’ब्रायन (113)
2011 मे इंग्लैंड ने जोनाथन ट्रॉट के 92 और इयान बेल के 81 रनों की बदौलत 327 रनों का विशाल स्कोर बनाया। जवाब मे उतरी आयरलैंड ने पहली ही गेंद पर अपने कप्तान और सलामी बल्लेबाज विलियम पोर्टरफील्ड को शून्य पर खो दिया। लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने कुछ रन बनाए और 111/5 पर पहुंच गए, जब गैरी विल्सन आउट हो गए। स्कोर को देखते हुए इंग्लैंड ने सोचा हो कि जीत उनकी झोली में होगी, लेकिन उन्हें इसकी उम्मीद नहीं थी कि आगे क्या होगा। उनके सामने केविन ओ’ब्रायन ने किसी तूफान के रूप में अंग्रेजी गेंदबाजों पर आक्रमण किया। इंग्लिश गेंदबाज उनकी बल्लेबाजी से पूरी तरह से चकित दिखे। ओ’ब्रायन ने सिर्फ 50 गेंदों पर विश्व कप इतिहास का सबसे तेज शतक बनाया और 63 गेंदों पर 13 चौकों और 6 छक्कों की मदद से कुल 113 रन बनाए। इसके बाद एलेक्स कुसैक (47) और जॉन मूनी (33) ने इंग्लैंड के बेहतरीन प्रयासों के बावजूद आयरलैंड को जीत दिला दी। केविन ओ’ब्रायन को मैन ऑफ द मैच चुना गया और इस मैच और इस पारी को विश्व कप इतिहास के क्लासिक में से एक माना जाता है।