किसी भी पिता के लिए गौरव की बात होती है कि उसका बेटा न केवल उसे फॉलो करे, बल्कि उससे कहीं अधिक सफल हो। क्रिकेट मे भी कई पिता-पुत्र की जोड़ी रही है, जो अलग अलग समय में अपने देश का प्रतिनिधत्व कर चुके हैं। फ़िलहाल चल रहे विश्वकप के आखिरी लीग मैच मे नीदरलैंड्स के पूर्व खिलाड़ी टिम डी लीडे दर्शक दीर्घा मे देखे गये, उन्होंने Holland (Netherland) के लिये 1996 से लेकर 2007 तक 29 वनडे खेले थे। टिम उनके बेटे बास डी लीडे को सपोर्ट करने के लिए आए हुये थे।
कल हुये मैच मे नीदरलैंड भले ही हार गई हो लेकिन ये वर्ल्ड कप उनके लिए बेहद ख़ास रहा है। एसोसिएट टीमों के लिए इस स्तर तक पहुंच पाना और खेलना कितना मुश्किल है। नीदरलैंड टीमों का प्रदर्शन निश्चित रूप से अन्य सहयोगी देशों के मनोबल को बढ़ाने में काफी मददगार साबित होगा।
नीदरलैंड के इस कैम्पेन मे कई खिलाडियों ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। लेकिन बास डी लीडे के असाधारण प्रदर्शन ने लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। भारत-नीदरलैंड मैच से पहले उन्होंने आठ मैचों में 7.11 की इकोनॉमी रेट से 14 विकेट लिए थे और इस मैच में उन्होंने दो और विकेट लेकर वर्ल्ड कप में 16 विकेट का आंकड़ा छू लिया। अपनी गेंदबाजी क्षमता के अलावा, बास ने अपने बल्लेबाजी कौशल का भी प्रदर्शन किया और आठ मैचों में 127 रन बनाए, जिसमें एक प्रभावशाली अर्धशतक भी शामिल था। उनके इस कमाल की झलक क्वालीफायर के दौरान ही दिख गई थी जब बास डी लीडे के उत्कृष्ट प्रदर्शन की बदौलत नीदरलैंड ने विश्व कप में अपनी जगह बनाई, जहां उन्होंने सात मैचों में 285 रन बनाए और 15 विकेट लिए। उनके हरफनमौला योगदान ने टीम की योग्यता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
बास के लिये बड़ा क्षण भारत की पारी के 18वें ओवर में आया जब बास डी लीडे ने एक धीमी गेंद फेंकी जिसने सेट रोहित शर्मा को चकमा दे दिया। भारतीय कप्तान 54 गेंदों पर 61 रन बनाकर आउट हुए, जिसमें दो छक्के और आठ चौके शामिल थे। मिड-विकेट पर तैनात वेस्ले बर्रेसी ने कैच लपका और बास डी लीडे ने अपने पिता टिम डी लीडे का रिकॉर्ड तोड़कर इतिहास रच दिया। बास ने 2003 विश्व कप में टिम के 14 विकेट के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया और विश्व कप में नीदरलैंड के लिए सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज बन गए। टिम ने बेंगलुरु में बास को अपने रिकॉर्ड से आगे जाते हुए देखा। वह स्टेडियम में चेहरे पर हंसी लिए बेटे को चीयर करते नजर आए।
शायद बेटे को चीयर करते समय उन्हें 2003 वर्ल्डकप का वहीं मैच याद आया होगा जिसमें भारत और नीदरलैंड्स की टीम आमने सामने थी। उस मुकाबले में उन्होंने जबरदस्त प्रदर्शन किया था। उन्होंने सौरव गांगुली और सचिन तेंदुलकर की धाकड़ ओपनिंग जोड़ी को पवेलियन पहुंचा दिया था। इसके बाद राहुल द्रविड़ को भी बोल्ड कर टिम ने भारत को संकट में डाल दिया था। जहीर खान को आउट कर उन्होंने टीम इंडिया को 204 रन पर समेटने में बड़ी भूमिका निभाई। हालांकि गेंदबाजों की मदद से भारत ने वह मुकाबला जीत लिया था। टिम को उनके बेहतरीन प्रदर्शन के लिए प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया था।