हरियाणा के जींद में एक सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली 142 नाबालिग लड़कियों ने अपने प्रिंसिपल पर यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है। प्रिंसिपल पर आरोप है कि वो छह साल से नाबालिग छात्राओ के साथ गंदी हरकत कर रहा था। सरकारी स्कूल होने की वजह से आमतौर पर यहां थोड़े गरीब परिवार की बच्चियां आती हैं। माता-पिता बच्चियों की अच्छी शिक्षा के लिए उन्हें स्कूल भेजते हैं, लेकिन इस स्कूल में उन बच्चियों पर गंदी नजर थी और वो भी किसी और नहीं बल्कि खुद इस स्कूल के प्रिंसिपल की। जिसके बाद आरोपी प्रिंसिपल को 4 नवंबर को गिरफ्तार किया गया और 7 नवंबर को अदालत में पेश किया और उसके बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
बताया गया है की करीब 15 लड़कियों ने इससे पहले 31 अगस्त को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, और भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, राष्ट्रीय महिला आयोग और राज्य महिला आयोग सहित अन्य लोगों को लेकर पत्र लिखा थ। जिसके बाद प्रिंसिपल पर 13 सितंबर को हरियाणा महिला आयोग ने पत्र का संज्ञान लिया और अगले दिन 14 सितंबर को कार्रवाई के लिए इसे जींद पुलिस को भेज दिया।
वहीं एक लीगल एक्टिविस्ट ने इस पूरे मामले में पुलिस कि लापरवाही पर सवाल उठाए है एक्टिविस्ट ने पुलिस और प्रशासन के जिला अधिकारी समेत शिक्षा विभाग के अधिकारी से कहा है कि किसी ने भी इस पूरे मामले में वक्त रहते कोई कार्रवाई क्यों नहीं की अगर किसी छात्रा के साथ यौन शोषण का मामला सामने आता है तो जल्द से जल्द पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए था।
इस ममले में कुल 346 छात्राओं के बयान लिए गए, जिनमें से 142 छात्राओं ने बताया कि उनके साथ अश्लील हरकतें हुई है। इस घटना के थोड़े समय बाद 30 सितंबर को एक छात्रा ने अपने घर में आत्महत्या भी कर ली। लेकिन परिवारवालों ने इस मामले में कुछ नहीं कहा। अब इस मामले में कई सवाल खड़े हो रहे है। क्या स्कूल के और भी शिक्षक को इस मामले के बारे में पहले से जानकारी थी या नहीं अगर उन्हे इस बार की जानकारी थी तो उन्होंने पुलिस में शिकायत क्यों नहीं दर्ज करवाई।