भोपाल। महीनों से चली आ रहा सियासी धुकधुकी आज ( 3 दिसंबर )थमने वाली है। तय हो जाएगा की मध्यप्रदेश में शिव का “राज” जारी रहेगा या “हाथ” का कब्जा हो जाएगा। एग्जिट पोल ने कांग्रेसियों की हवा टाइट कर दी है, लेकिन उनका मानना है की नतीजा अलग आएगा और मध्यपदेश में कांग्रेस की सत्ता वापसी होगी। भाजपा को मोदी मैजिक और शिवराज पर पूरा भरोसा है। उन्हे लग रहा है की “लाड़ली बहना” काम कर गई है।
इन सब के बीच रिजॉर्ट पॉलिटिक्स भी शुरू हो गई है। अगर दोनों ही पार्टियों बहुमत के आंकड़े के आसपास रह गई तो खरीद फरोख्त का खेल भी हो सकता है। उस स्थिति में निर्दलियों की पूछ परख बढ़ जाएगी। बसपा सपा जैसे छोटे दलों का महत्व भी अहम हो जाएगा।
मंदिर- मंदिर भागे नेता जी
मध्य प्रदेश में मतदान और मतगणना के बीच करीब तीन हफ्तों का समय था। इस दौरान कांग्रेस भाजपा दोनों ही पार्टी के नेताओं ने देव दर्शन कर समय बिताया है। कैलाश विजयवर्गीय केदारनाथ जाते दिखे तो संजय शुक्ला को त्र्यंबकेश्वर और स्वर्ण मंदिर में देखा गया। गोलू शुक्ला और राजस्थान गए। तुलसी सिलावट उज्जैन गए। इसी तरह प्रदेश भर के नेता कई मशहूर देवस्थानों पर दर्शन करते देखे गए।
कुछ मंत्री और दिग्गज डरे-डरे
एग्जिट पोल की माने तो मध्य प्रदेश में भाजपा की सत्ता वापसी हो रही है। लेकिन असर यह भी है कि कुछ दिग्गज मंत्री इस चुनाव में हार जाएं। इन मंत्रियों में गौरी शंकर बिसेन , कमल पटेल और अरविंद भदौरिया का नाम चल रहा है। अटकल है तो यह भी है इनके अलावा भी कई नामी मंत्रियों का सियासी सफर खत्म हो सकता है। कुछ कांग्रेसी दिग्गज भी डरे डरे से हैं। इसमें नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह, कबीर सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह, अरुण यादव के छोटे भाई सचिन यादव का नाम शामिल है।