गुजरात के स्कूलों में अगले साल यानि 2024 से भगवद गीता पढ़ाई जाएगी। गीता जयंती के मौके पर राज्य के शिक्षा मंत्री प्रफुल पानशेरिया ने इसका ऐलान किया है। इस दौरान शिक्षा मंत्री ने ये भी कहा कि, गीता केवल एक धर्म का नहीं है बल्कि सभी धर्मों का सार है। क्या उपदेश है ‘भगवत गीता’ का ? तो आपको बता दे कि महाभारत के युद्ध के समय जब अर्जुन युद्ध करने से मना करते हैं तब श्री कृष्ण उन्हें उपदेश देते है और कर्म व धर्म के सच्चे ज्ञान से अवगत कराते हैं। श्री कृष्ण के इन्हीं उपदेशों को ‘भगवत गीता’ नामक ग्रंथ में संकलित किया गया है।
दरअसल, हर साल मार्गशीष माह के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी तिथि को गीता दिवस मनाई जाती है। इस साल भी 22 दिसंबर 2023 को गीता जयंती मनाई गई है। देखा जाए तो यह सिर्फ सनातन धर्म का इकलौता ग्रंथ गीता है जिसकी जयंती मनाई जाती है। वहीं इस खास मौके पर गुजरात सरकार ने कक्षा 6वीं से 8वीं के बच्चों को भगवद्गीता पढ़ाने का फैसला लिया है।
राज्य के पानशेरिया ने कक्षा 6वीं से 8वीं तक की पुस्तकों को लांच करते हुए कहा कि छोटी उम्र में मिलने वाली शिक्षा जीवन भर याद रहती है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति महात्मा जब छोटे थे तो उन्होंने एक राजा हरिशचंद्र का एक नाटक देखा था। इस नाटक का उनके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने सत्य को अपनाया और उसे ही अपना हथियार बना लिया। पानशेरिया ने कहा कि सनातन हिंदू धर्म का सबसे महान ग्रंथ ‘श्रीमद्भगवत गीता’ हमारे संपूर्ण जीवन का सार है। जिसमें अध्यात्म, प्रबंधन, नेतृत्व, रचनात्मकता, संस्कार और कर्म उत्कृष्टता का विवेक ही श्रेष्ठ समाज के निर्माण के अनूठे हथियार हैं। भगवत गीता के उपदेश आज भी प्रासंगिक हैं।
आपको बता दें कि, इससे पहले भी गुजरात सरकार ने पिछले साल गुजरात के स्कूल में बच्चों को भागवद् गीता पढ़ाने की घोषना हुई थी। लेकिन इसे बीच म शुरू नहीं किया जा सकता था जिसकी वजह से इसे निश्चित करने में देरी हुई और अब इसे दूसरे साल से यानि 2024 से लागू किया जा रहा है। जहाँ अब गुजरात के सभी सरकारी स्कूलों में बच्चों को गीता पढ़ाई जाएगी। खास बात यह है इसके लिए कोई अलग से शिक्षक नहीं रखा जाएगा।