सुप्रीम कोर्ट ने 3 जनवरी को अडानी-हिंडनबर्ग मामले में अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने अडानी ग्रुप को राहत देते हुए इस मामले में SEBI की जांच को सही ठहाराया और SEBI की जांच में दखल देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने मामले की जांच CBI को ट्रासंफर करने की मांग को भी खारिज कर दिया है। अपने फैसले में कहा कि, जांच को SEBI से CBI को ट्रांसफर करने का कोई मामला नहीं बनता है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की तीन सदस्यीय बेंच ने इस मामले में फैसला लिया।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि किसी तीसरे पक्ष की रिपोर्ट को निर्णायक सबूत नहीं माना जा सकता और हितों के टकराव का कोई मामला नहीं बनता है। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने पर्याप्त शोध के बिना याचिका दाखिल करने के लिए याचिकाकर्ताओं को चेतावनी भी दी।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने असंतोष ज़ाहिर किया
जस्टिस चंद्रचूड़ कहना था कि, इस मामले में SEBI की जांच की विश्वसनीयता पर शक करने का कोई ठोस आधार मौजूद नहीं है। उन्होंने याचिकाकर्ताओं के वकीलों को जिम्मेदार होने की सलाह देते हुए कहा था कि उन्होंने अदालत में तभी पहल करनी चाहिए, जब उनके पास सबूत हो। उन्होंने कहा था कि, “एक वकील के तौर पर आपको अपने सवालों को लेकर जिम्मेदार होना चाहिए। यह कोई स्कूल की बहस नहीं है। आप बिना किसी सबूत के SBI और LIC के खिलाफ जांच के आदेश की मांग कर रहे हैं? क्या आपको पता है कि इसके क्या नतीजे हो सकते हैं?”
तीन महीने में जांच पूरी करे “SEBI”
अडानी ग्रुप के खिलाफ SEBI कुल 24 मामलों की जांच कर रही है, जिसमें से 22 मामलों की जांच पूरी हो चुकी है।कोर्ट ने SEBI को लंबित 2 जांचों को अगले 3 महीने के अंदर पूरा करने का निर्देश दिया।
क्या था पूरा मामला?
साल 2023 के 24 जनवरी में अमेरिका के शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग ने गौतम अडानी ग्रुप पर आरोप लगाया कि शेल कंपनी के जरिए ग्रुप ने शेयर्स में हेरफेर किया। रिपोर्ट के मुताबिक के शेयर 85 फीसदी तक ओवरवैल्युड थे। ग्रुप के कर्ज, मैनेजमेंट समेत कई अन्य बातों पर भी सवाल खड़े किए थे।
हालांकि ग्रुप ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया लेकिन उनके शेयर्स के भाव में भारी गिरावट आ गई थी। वहीं, गौतम अडानी की निजी दौलत में भी बड़ी गिरावट आई। इसका शेयर बाजार पर असर पड़ा और निवेशकों को भारी नुकसान हो गया।
जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दर्ज की गईं। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद SEBI को जांच के आदेश दिए। इसके बाद स्पेशल कमेटी गठित की गई और उसने रिपोर्ट में कहा की अडानी ग्रुप में हेरा फेरी का कोई स्पष्ट सबूत नहीं दिखा।
इसके बाद एमएल शर्मा, विशाल तिवारी और जया ठाकुर ने अडानी समूह के खिलाफ विशेष जांच दल SIT या CBI को सौंपने की याचिका दाखिल की थी।