बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने लगाता 5वीं बार आम चुनाव में जीत हासिल की। इस जीत के साथ ही वे 5वीं बार देश की कमान संभालेंगी। शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने जहां 222 सीटें जीतीं वहीं निर्दलीय उम्मीदवारों को 52सीट पर कामयाबी हासिल हुई। देश में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) समेत विपक्षी पार्टियों ने चुनाव का बहिष्कार किया था। जिसके बाद भी शेख हसीना नें चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
BNP ने किया था चुनाव का बहिष्कार
बांग्लादेश चुनाव आयोग के अनुसार, देश में 300 संसदीय सीट हैं। हालांकि एक निर्दलीय उम्मीदवार की मौत के बाद चुनाव रोक दिया गया था। जिसके बाद अब सिर्फ 299 सीटों पर चुनाव हुए। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शेख हसीना की पार्टी ने 299 में से 222 सीटें हासिल की हैं। जबकि निर्दल उम्मीदवारों ने 52 सीटें जीती। वहीं जातीय पार्टी को 11 सीटें हासिल हुई है।
कई जगह पर हुई हिंसा
आपको बता दे की इस चुनाव के दौरान कई मतदान केंद्रों पर देसी बम विस्फोट की खबर भी आई तो कई जगहों पर गोली भी चली। वहीं कई जगह से पथराव की घटना भी सामने आई है। इस चुनाव में 2000 से अधिक उम्मीदवारों ने आम चुनाव लड़ा और साथ ही 27 राजनीतिक दलों ने 1500 से अधिक उम्मीदवार उतारे हैं। साथ ही वहीं 436 निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी अपनी किस्मत आजमाई है।
कौन है शेख हसीना?
कौन है शेख हसीना? तो आपको बता दे कि शेख हसीना का जन्म 28 सितंबर 1947 में पूर्वी बंगाल के टुंगीपारा में बंगाली मुस्लिम शेख परिवार में हुआ था। हसीना का बचपन मां और दादी के देखरेख में टुंगीपारा में बीता। बाद में हसीना का परिवार ढाका चला आया और वे सभी सेगुनबागीचा में रहने लगे। हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान बंगाली राष्ट्रवादी नेता थे और उनकी मां का नाम बेगम फाजीलातुनेसा मुजीब था। पाकिस्तान बनने के बाद शेख मुजीबुर सरकार में मंत्री रहे। हसीना ने टुंगीपारा से शुरुआती शिक्षा के बाद ढाका के आजीमपुर गर्ल्स स्कूल से पढ़ाई की। जिसके बाद उन्हें1966 और 1967 के बीच ईडन कॉलेज में छात्र संघ के उपाध्यक्ष के रूप में चुना गया।इसके साथ ही हसीना ने बंगाली साहित्य का अध्ययन किया,जहां से उन्होंने 1973 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की,और तभी से वह राजनीति में कार्य करती आ रही है।
हसीना को भारत से इतना खास लगाव क्यों?
शेख हसीना ने कहा की हम बहुत भाग्यशाली हैं कि, भारत हमारा भरोसेमंद दोस्त है। हमारे मुक्ति संग्राम के दौरान उन्होंने न केवल 1975 के बाद हमारा समर्थन किया जबकि हमने अपना पूरा परिवार पिता, माता, भाई, सभी को (सैन्य तख्तापलट में) खो दिया था,उस वक्त भारत में हमारी मदद कि। जर्मनी में बांग्लादेश के राजदूत हुमांयु रशीद चौधरी की गुहार पर भारत की तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने हमें आश्रय दिया। इसलिए भारत के लोगों को हमारी शुभकामनाएं है। साथ ही शेख हसीना के पति डॉक्टर वाजेद को परमाणु ऊर्जा विभाग में फेलोशिप भी दी थी इतना ही नहीं बल्कि भारत सरकार ने शेख हसीना को पंडारा रोड के पास एक फ्लैट दिया था। जहाँ शेख हसीना अपने परिवार के साथ करीब छह साल तक रही थी।