मकर संक्रांति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व होता है। वैसे तो सालभर में 12 संक्रांति होती हैं, लेकिन पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तब ये पर्व मनाया जाता है। 2024 में मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन स्नान और दान-पुण्य जैसे कार्यों का विशेष महत्व माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने और खाने का खास महत्व होता है। इसी कारण इस पर्व को कई जगहों पर खिचड़ी का पर्व भी कहा जाता है।
मकर संक्रांति का महत्व
सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास खत्म् हो जाता है और विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। इस दिन के बाद से सूर्य उत्तनरायण होने लगते हैं और धीरे-धीरे दिन बड़ा और रात छोटी होने लगती है। उत्तनरायण को शास्त्रों में शुभ माना गया है. कहा जाता है कि महाभारतकाल में भीष्मय पितामह ने अपने प्राणों को त्याछगने के लिए सूर्य के उत्तकरायण होने का इंतजार किया था। इस दिन तिल, गुड़, खिचड़ी, कंबल, गरम वस्त्र, घी आदि का दान शुभ माना गया है।
मकर संक्रांति की पौराणिक कथा
हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र भगवान शनि के पास जाते हैं। उस वक्त भगवान शनि मकर राशि का प्रतिनिधित्व कर रहे होते हैं। भगवान शनि, मकर राशि के देवता है। इसी कारण इस दिन को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस खास दिन पर अगर कोई पिता अपने बेटे से मिलने जाता है तो उसके सारे दुख और तकलीफ दूर हो जाते हैं। मकर संक्रांति से जुड़ी एक और पौराणिक कथा है जिसका वर्णन महाभारत में किया गया है।
मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी क्यों बनाई जाती है
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार,मकर संक्रांति की खिचड़ी में इस्तेमाल होने वाले चावल, काली दाल, हल्दी, मटर और हरी सब्जियों का विशेष महत्व है। ये सभी अलग-अलग ग्रहों से जुड़े हैं। मान्यताओं के मुताबिक, खिचड़ी के चावल से चंद्रमा और शुक्र की शांति का महत्व है। काली दाल शनि, राहू और केतू से जुड़ी है।
जबकि, हल्दी से बृहस्पति और हरी सब्जियों से बुध का संबंध है। वहीं जब खिचड़ी पकती है तो उसकी गर्माहट का संबंध मंगल और सूर्य देव से है। इस तरह से खिचड़ी का संबंध लगभग सभी ग्रहों से है। इसलिए मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने और दान का महत्व अधिक माना गया है।
मकर संक्रांति के दिन करें ये खास उपाय
- मकर संक्रांति के दिन स्नान करने के पानी में काले तिल डालें। तिल के पानी से स्नान करना बेहद ही शुभ माना जाता है। साथ ही ऐसा करने वाले व्यक्ति को रोग से मुक्ति मिलती है।
- मकर संक्रांति के दिन स्नान के बाद सूर्य देव को जल चढ़ाए और सूर्य देव को चढ़ाए जाने वाले जल में तिल डालें।
- इस दिन कंबल, गर्म कपड़े, घी, दाल चावल की खिचड़ी और तिल का दान करने से गलती से भी हुए पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख समृद्धि आती है।