मध्य प्रदेश में केंद्र सरकार की तरफ से वर्ष 2024 के लिए पद्म पुरस्कारों की घोषणा की गई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सम्मान पाने वाले सभी हस्तियों को शुभकामनाएं दीं। इस पुरस्कार को तीन कैटेगरी में बांटा गया है। पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री कला, सामाजिक कार्य, सार्वजनिक मामलों, विज्ञान और इंजीनियरिंग, व्यापार, मेडिसिन, साहित्य शिक्षा और सेवा में योगदान के लिए इन सम्मानों से नवाजा जाता है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोशल मीडिया पर बधाई देते हुए लिखा “भारत सरकार द्वारा वर्ष 2024 के लिए पद्म पुरस्कारों की घोषणा की गई है। सभी विभूतियों को मेरी और से हार्दिक शुभकामनाएं। अत्यंत हर्ष और गौरव का विषय है कि पद्म पुरस्कारों में मध्यप्रदेश से कला के क्षेत्र में श्री ओमप्रकाश शर्मा एवं श्री कालूराम बामनिया, खेल के क्षेत्र में श्री सतेंद्र सिंह लोहिया तथा साहित्य व शिक्षा के क्षेत्र में श्रीभगवतीलाल राजपुरोहित को पद्मश्री से सम्मानित करने के लिए चुना गया है”।
ओम प्रकाश शर्मा और भगवतीलाल राजपुरोहित, उज्जैन से है। कालूराम बामनिया, देवास से और सत्येंद्र लोहिया भिंड जिले से हैं। गुरुवार यानी 25 जनवरी की शाम को भारत सरकार की तरफ से पद्म पुरस्कार से सम्मानित किए जाने वाली हस्तियों के नाम का ऐलान किया गया है। ऐसा पहली बार हो रहा है जब 132 लोगों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा।
पंडित ओमप्रकाश शर्मा को भारत में माच लोक रंगमंच का चेहरा माना जाता है। उन्होंने मालवी लोक कला माच के लिए कई नाटक लिखे है। साथ ही इसकी थिएटर प्रस्तुतियों के लिए संगीत भी तैयार किए है। उन्होंने कई बड़े नाटक, टीवी सीरियल और फिल्मो में भी योगदान दिया है। उन्होंने रंगमंच की जानीमानी हस्ती बी.वी. कारंत द्वारा निर्देशित फिल्म ‘औरत भली रामकली’ में अदाकार और सह- संगीत निर्देशक की भूमिका निभाई थी। वहीं कालूराम बामनिया एक कबीर भजन गायक हैं।
भिंड के सतेंद्र सिंह लोहिया अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग तैराक खिलाड़ी हैं। उन्होंने विक्रम अवार्ड 2014, तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार 2019 भी हासिल किए। वे अभी तक 8 राष्ट्रीय पैरालंपिक तैराकी प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुके हैं। वे देश में हुई प्रतियोगिताओं में अब तक 26 पदक हासिल कर चुके है। इसके अलावा 3 अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक तैराकी प्रतियोगिताओं में भी उन्होंने 4 पदक हासिल किए है।
भगवतीलाल राजपुरोहित का जन्म धार जिले के चंदोड़िया में 2 नवंबर 1943 को हुआ। उन्होंने हिंदी, संस्कृत और प्राचीन इतिहास में एमए और पीएचडी की डिग्री ली है। राजपुरोहित को 1984 और 1990 में मध्यप्रदेश संस्कृत अकादमी का भोज पुरस्कार मिल चुका है। इसके अलावा 1990 में डॉ. राधाकृष्णन सम्मान और 1988 में मप्र साहित्य परिषद के बालकृष्ण शर्मा नवीन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।