इंदौर को 15 फरवरी तक बाल भिक्षुक मुक्त शहर बनाने के लिए अभियान चलाया जाएगा। क्योंकि शहर के अधिकांश ट्रैफिक सिग्नलों पर जैसे ही लाल बत्ती होती है, सात-आठ साल के कुछ बच्चों के हाथ भीख के लिए फैल जाते हैं और इन सब की संख्या दिनों- दिन बढ़ती जा रही है। इस के अधिक मामले इंदौर शहर के विजय नगर चौराह, LIG चौराह, पलासिया, नवलखा, आदि जगहों पर देखने को मिलते है। जहाँ 14 से 15 साल के छोटे-छोटे बच्चे भीख मांगते नजर आते है।
इंदौर बनेगा बाल भिक्षुक मुक्त
बीते सोमवार को इंदौर कलेक्टर ने कई अधिकारियों के साथ एक अहम बैठक कि थी। बैठक में महिला बाल विकास, श्रम विभाग, प्रवेश संस्था, पुलिस विभाग के संयुक्त दल शामिल हुए थे। इंदौर को 15 फरवरी तक बाल भिक्षुक मुक्त शहर बनाने के लिए अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के तहत सभी चौराहों और मंदिरों को बाल भिक्षुकों से मुक्त करने की कार्यवाही की जा रही है।
शहर में भीख ना देने के लगाए जाएंगे बोर्ड
अपर कलेक्टर रोशन राय ने मंदिर के पुजारियों से कहा कि, मदिरों पर नोटिस बोर्ड लगवाएं, जिसमें किसी को भी भीख न देने की श्रद्धालुओं से अपील की जाए, वहीं प्रमुख चौराहों पर भी यह बोर्ड लगवाए जाएंगे। जिसमें भिक्षा नहीं शिक्षा देने की अपील की जाएगी।
बाल भिक्षावृति क्या है?
जब किसी बच्चे के द्वारा भीख माँगी जाती है, तो उसे हम बाल भिक्षावृति कहतें हैं। लेकिन आज के समय में ऐसा नहीं है क्यूंकि बाल भिक्षावृति (Child Begging) आज के समय में एक व्यवसाय बन चूका है। भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम के तहत भिखारी के रूप में पहली बार भीख मांगते पकड़े जाने पर 2 साल और दूसरी बार में 10 साल की जेल की सजा है।
Enforcement Department नहीं कर रहा कानून का पालन
हमारे देश में बाल भिक्षावृति को रोकने और कम करने के लिए कानून तो हैं लेकिन उसका पालन enforcement department द्वारा उस तरीके से नहीं किया जाता है। जिस तरीके से होना चाहिए और देखा जाए तो कोरोना महामारी ने इस अपराध को और बड़ा दिया है, क्यूंकि इस महामारी के दौर में कितने ऐसे मासूम बच्चे है जो बेघर हो गए। इसलिए सरकार बाल भिक्षावृति को खत्म करने के लिए और शक्त कानून बना रही है। साथ ही साथ देश के enforcement department (प्रवर्तन विभाग)को और भी मजबूत करना होगा।
क्या है भारत में बच्चों के द्वारा भीख माँगने के खिलाफ कानून
भारतीय दंड संहिता, 1860
भारतीय दंड संहिता, 1860 इसमें धारा 363A के तहत कहा गया है कि, कोई भी व्यक्ति अगर भीख मंगवाने के लिए किसी बच्चे का अपहरण करता है, तो उसे इस धारा के तहत 10 साल की जेल होगी।
बॉम्बे प्रिवेंशन ऑफ बेगिंग अधिनियम, 1959
इसका उद्देश्य भिखारियों को भीख मांगने से रोकना है और उन्हें एक बेहतर रोजगार देना है। इस अधिनियम में यह भी प्रावधान है कि, पांच साल से कम उम्र के बच्चों को भीख मांगने के जुर्म में बाल अधिनियम, 1959 के तहत अदालतों में भेजा जाएगा और उनकी मां को उनकी देखभाल के लिए हिरासत में लिया जाएगा।
रेल्वे अधिनियम, 1989
यह अधिनियम में धारा 144(2) के तहत किसी भी बच्चे और व्यक्ति को रेल में भीख मांगने से रोकती है और उसके बाद भी अगर कोई ऐसा करते पाया गया तो उसे 1 साल की सजा दी जाती है।