इंदौर। शहर में बढ़ते ट्रैफिक के दबाव के चलते प्रशासन ने शहर में तय रूट पर ई-रिक्शा चलाने का निर्णय लिया है। जिसका ई-रिक्शा चालक विरोध कर रहे हैं। विभिन्न मांगो को लेकर ई-रिक्शा चालकों ने कल 21 फरवरी को हड़ताल भी की थी। इतना ही नहीं ई-रिक्शा चालकों ने एक साथ अपनी मांगो को लेकर आवाज बुलंद करते हुए प्रशासन को अल्टिमेटम दिया है।
चालकों का कहना है कि, शहर के बाहर उन्हें सवारियां नहीं मिलती, इससे उनकी रोजी-रोटी पर बुरा असर पड़ेगा। रूट तय करने से ई-रिक्शा चालकों में सवारियों के लिए झगड़े भी होंगे। करीब 7000 हजार से ज्यादा ई-रिक्शा चालक दोपहर को चिमबाग मैदान में पहुंचे। जिसके बाद चालक पैदल रैली के रूप में राजवाड़ा और फिर वापस चिमनबाग मैदान आए। चालकों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी की। उन्होंने प्रशासन के सामने अपनी तीन मांगें भी रखीं। साथ ही मांगे नहीं मानी जाने पर उन्होंने आगे लगातार हड़ताल पर जाने की बात कही है।
कल हड़ताल के बाद से सिटी बसों में यात्रियों की भीड़ देखी गई है। बस में भीड़ की वजह से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बता दे कि ई-रिक्शा बंद होने की वजह से यात्रीयों को सिटी बस का इंतजार करना पड़ रहा है। इनमें से कुछ यात्री ऐसे है जो सिर्फ ई-रिक्शा से ही आना जाना पसंद करते है। उसके पीछे का कारण समय की बचत है। ई-रिक्शा चालक संघ के राजेश बिडकर ने बताया कि, प्रशासन ने यातायात सुगम करने और सिटी बस को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से ई-रिक्शा चालकों को टारगेट किया है। मोटर व्हिकल एक्ट के मुताबिक ई-रिक्शा को किसी भी रूट पर परिवहन विभाग बैन नहीं कर सकता है।
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ई-रिक्शा के लिए कलेक्टर ने रूट तय कर दिए है। ई-रिक्शा चालकों का कहना है कि, नए रूट उनके लिए अनुचित हैं, क्योंकि नए रुट से उनकी आय में कमी आएगी। ऐसे में हम अपना घर कैसे चला पाएंगे, बच्चों का पालन पोषण सही से नहीं हो पायेगा। आय में कमी से उनको काफी सारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इसी को लेकर उनके द्वारा हड़ताल की जा रही है। साथ ही ई-रिक्शा चालको की यह मांगे है।
- राजवाड़ा नो व्हीकल जोन रहे।
- ई-रिक्शा के लिए रूट तय नहीं किया जाए।
- ई-रिक्शा के लिए स्टैंड बनाएं जाए।