इंदौर की रंग पंचमी का इंतज़ार इंदौर के लोगों के साथ-साथ अन्य शहर के लोगों को भी रहता है। इंदौर की ‘गेर’ केवल प्रदेश और देश ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में भी प्रसिद्ध है। रंगपंचमी पर निकलने वाली ‘गेर’ में लाखों लोग एक साथ होली मनाते है। लेकिन इस बार विश्वविख्यात ‘गेर’ में इंदौर का मशहूर इलाका टोरी कॉर्नर ‘गेर’ नहीं निकालेगी। दरअसल, टोरी कॉर्नर ‘गेर’ के संस्थापक शेखर गिरी के बड़े भाई सतीश गिरी की आज 29 मार्च को मृत्यु हो गई। बता दें, इस विश्वविख्यात गेर की शुरुआत हर साल टोरी कॉर्नर से ही होती थी।
आपको बता दें कि, इंदौरी ‘गेर’ की शुरुआत होलकर राजवंश के लोगों ने की थी। होलकर राजवंश के लोग धुरेंडी और रंगपंचमी पर आम जनता के साथ होली खेलने के लिए सड़कों पर निकलते थे। इसके साथ ही जुलूस निकालकर पूरे शहर में घूमकर लोगों के साथ होली खेला करते थें। इंदौर की ‘गेर’ शुरुआत सबसे पहले झांसी में हुई थी और इस पारंपरिक गेर को इंदौर के लाग आज भी बडे़ धूम धाम से मनाते है।
‘गेर’ मार्ग के प्रमुख 9 स्थान है, टोरी कॉर्नर, गोराकुंड चौराहा, सुभाष चौक, चौकी, नृसिंह बाजार, इतवारिया बाजार, सीतलामाता बाजार, सराफा सहित अन्य स्थानों पर मंच लगाकर एक साथ 10 जवानों को बैठाया जाएगा। यहां महिला फोर्स सहित 500 पुलिसकर्मी भी तैनात होंगे। सभी सिविल ड्रेस में होंगे। यदि कोई महिलाओं को टारगेट कर गुब्बारे या जबरदस्ती रंग लगाऐगा तो उस पर तुरंत कार्रवाई होगी। सीएम की सुरक्षा एयरपोर्ट से बड़ा गणपति, राजमोहल्ला होते हुए नृसिंह बाजार तक की गई है। क्योंकि वे भी इस साल रथ से ‘गेर’ में शामिल होंगे।
‘गेर’ में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, विधायक रमेश मेंदोला, मंत्री तुलसी सिलावट, सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी, राष्ट्रीय कवि सत्यनारायण सत्तन, पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय, भाजपा नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे, सुदर्शन गुप्ता, कृष्ण मुरारी मोघे, आईडीए अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा, जीतू जिराती अथिति के रूप में मौजूद रहेंगे।
त्योहार के साथ शहर कि स्वछता को भी ध्यान में रखा गया है। जहां ‘गेर’ को संचालित करने के लिए 25 समितियों के माध्यम से 700 कार्यकर्ताओं को जवाबदारी सौंपी गई है। जो जनता को गंदगी नहीं फैलाने ओर त्योहार को शांति से मनाने का संदेश देंगे ।
1950 में हुई नई शुरूआत
भारत की आजादी के साथ सन् 1950 में एक नई शुरुआत हुई और वह शुरुआत रंग पंचमी पर निकलने वाली गेरों से हुई। उस जमाने में इंदौर का मशहूर इलाका टोरी कॉर्नर था। यहां के श्रमिक नेता और मील मजदूरों ने मिलकर इसकी शुरुआत की थी। टोरी कॉर्नर पर बड़े-बड़े कड़ाव फैक्ट्री से मंगाए जाते थे और उनमें केसरिया रंग तैयार कर यह रंग लोगों पर डाला जाता था। यह शुरुआत थी इंदौर की नई ‘गेर’ की और उस जमाने के मशहूर बाबूलाल गिरी, रंगनाथ कार्णिक पहलवान, बिंडी पहलवान आदि मिलकर बैलगाड़ियों पर यह रंगारंग गेर टोरी कॉर्नर से राजवाड़ा तक ले जाते थे।
पहले के समय में होली की तैयारी के लिए ढाले परिवार के यहां से होली की अग्नि आती थी, जिसे महाराज होलकर स्पर्श करते थे। उसके बाद होलकर रियासत का राष्ट्रगान राष्ट्रगीत होता था और होलकर आर्मी के प्लाटून के 20 घुड़सवार पांच पांच राउंड फायर करते थे और किले से तोप चलने की एक बड़ी जोरदार आवाज आती थी। ये तोप 5 बार दागी जाती थी। जिससे पूरे शहर को यह मालूम होता था कि, होली का फाग उत्सव राजवाड़ा से 15 दिन के लिए शुरू हो चुका है। जिस फाग महोत्सव को 15 दिन तक बड़ी शान से मनाया जाता था।