दिल्ली से देश की राजधानी होने के नाते सफाई और व्यवस्था के स्तर से अन्य जगहों के मुकाबले ज्यादा बेहतर होने की उम्मीद की जाती है लेकिन वास्तविक तस्वीर उससे उलट और बेहद अफसोसजनक है। भले ही आम आदमी पार्टी ‘आप का रामराज्य’ नाम से वेबसाइट बनाकर दिल्ली को साफ़ सुथरा करने का दावा कर रही है, लेकिन दया बस्ती से लेकर गाज़ीपुर मे कुतुब मीनार जितना बड़ा कचरे का पहाड़ चीख चीख कर गवाही दे रहा है कि ‘आप’ सरकार के दावे सरासर गलत है। लंबे समय से इन समस्याओं को कई बार बड़ा मुद्दा बनने के बाद भी अब तक इसका हल निकालने की कोई गंभीर पहल नहीं दिखती।
गाजीपुर लैंडफिल दुनियाभर में पहचाना जाता है। इस बार ये तब चर्चा में आया जब इस पर भयंकर आग लग गई। रविवार शाम से लगी आग अभी तक बुझी नहीं है। काफी जद्दोजहद के बाद भी कूड़े के इस पहाड़ पर आग को पूरी तरह से काबु कर पाने मे असफ़लता मिली है। पूरा इलाका जहरीली गैस, बदबू और धुएं से भर गया है। लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। दुर्भाग्यवश गाजीपुर लैंडफिल साइट पर आग लगने की इस तरह की घटनाएं आम हो गई हैं। 2019 में कूड़े के इन पहाड़ पर आग लगने की छह घटनाओं की सूचना दी गई थी। 2020 में ये बढ़कर आठ हो गई। 2021 में चार और 2022 में गाजीपुर के कूड़े के पहाड़ में आग लगने की पांच घटनाएं सामने आई थीं। गर्मी आते ही कूड़े के पहाड़ में आग लगने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। जिससे आसपास के लोगों को सांस लेने में मुश्किल होती है। ये तो बात सिर्फ एक लैंडफिल साइट की है। ठीक इसी तरह से दिल्ली के दो अन्य लैंडफिल साइट भलस्वा और ओखला भी स्थानीय लोगों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं।
‘आप’ की सरकार के बहाने!
नगर निगम के चुनाव मे ‘आप’ पार्टी तब आप ने घोषणा की थी कि वे इस पहाड़ को दिसंबर 2023 तक खत्म कर देंगे। लेकिन 2024 अप्रैल तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। नगर निगम की जानकारी के मुताबिक, गाजीपुर लैंडफिल साइट पर अभी एक ही एजेंसी कूड़ा निस्तारण का काम कर रही है। कूड़ा निपटारा तेजी से करने के साथ ही दूसरी एजेंसी को काम पर लगाने की योजना एडमिनिस्ट्रेटिव अड़ंगे के चलते पूरी नहीं हो पा रही है, क्योंकि निगम में स्थाई समिति का गठन नहीं हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट हैरान, भेजा नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई है कि, दिल्ली में हर रोज ग्यारह हजार टन कचरा पैदा होता है, जिसमें से तीन हजार टन कचरे को सही ढंग से ठिकाने नहीं लगाया जाता। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के इलाकों में एयर क्वालिटी मैनेजमेंट डिपार्टमेंट की रिपोर्ट पर कहा कि यह हैरान करने वाली बात है कि सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल, 2016 को लागू हुए आठ साल गुजर चुके हैं, मगर अब तक दिल्ली मे बैठी ‘आप’ सरकार ने इस पर ठीक से अमल नहीं किया है।