तमिलनाडु के करीब 200 किसान आज फिर से दिल्ली के जंतर मंतर पर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। अपनी विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे कुछ किसान एक पेड़ पर चढ़े नजर आ रहे हैं। जिसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें देखा जा सकता है कि, पुलिसकर्मी किसानों को पेड़ से नीचे उतारने कि कोशिश कर रहे हैं। यह प्रदर्शन फसल की कीमतों और नदियों को आपस में जोड़ने की मांग को लेकर किया जा रहा है। साथ ही यह किसान प्रदर्शनकारी उन किसानों की खोपड़ी और हड्डियों के साथ आए हैं, जिन्होंने पिछले एक साल में आत्महत्या की थी। खोपड़ी के साथ किसानों का यह आंदोलन उनकी पहचान बन चुकी है। क्योंकि इससे पहले 2017 में भी किसान इस तरह का प्रदर्शन कर चुके हैं।
नेशनल साउथ इंडियन रिवर इंटरलिंकिंग फार्मर्स एसोसिएशन, के अध्यक्ष अय्याकन्नू ने आज तक से बात करते हुए कहा कि, ‘2019 के चुनावों के दौरान पीएम ने घोषणा की थी कि, मैं फसलों का दोगुना मुनाफा दूंगा और नदियों को आपस में जोड़ूंगा।’ लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं किया गया हैं।
2014 में मोदी जी ने जो वादा किया था वो तो पूरा नहीं किया
केंद्र सरकार के नए कृषि क़ानूनों को लेकर अय्याकन्नू ने कहा, “2014 में जब बीजेपी सत्ता में आई, तब तक मैं बीजेपी में ही था। 2014 के आम चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी कहा करते थे कि, वे सत्ता में आएंगे तो किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी और मोंसेंटो जैसी मल्टीनेशनल कंपनियों को भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।” अय्याकन्नू ने गन्ने का उदाहरण देते हुए बताया कि, “2014 से पहले गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,500 रुपये प्रति टन था। लेकिन 6 साल बाद यह महज 2,750 रुपये प्रति टन तक ही पहुंच पाया है। मोदी जी ने जो वादा किया था वो तो पूरा नहीं किया और ना ही नए कृषि क़ानूनों में इसका कोई ज़िक्र है।
किसानों की कोई मांग पूरी नहीं की गई
इससे पहले भी साल 2017 में दिल्ली के जंतर-मंतर पर 41 दिन तक चले प्रदर्शन के दौरान इन किसानों ने विरोध प्रदर्शन के लिए कई अलग-अलग तरीकों को आज़माया था। फिर भी इन किसानों की कोई मांग पूरी नहीं कि गई है।
- सबसे पहले किसानों ने नर खोपड़ियों के साथ प्रदर्शन किया था। उनके दावे के अनुसार, तब भी यह खोपड़ियां आत्महत्या करने वाले किसानों की ही थी।
- फिर इन किसानों ने एक दिन अर्द्ध-नग्न होकर भी प्रदर्शन किया था। भारी गर्मी में किसानों ने सड़क पर लेट कर अपना विरोध दिखाया था साथ ही किसानों ने सिर के आधे बाल और आधी मूंछ काट ली थी।
- इस आंदोलन में सिर्फ पुरुष किसान ही नहीं बल्कि महिला किसान भी शामिल हुई थी।
कोर्ट से इजाजत मिलने के बाद हो रहा है प्रदर्शन
किसानों ने कहा कि, उन्हें तो प्रदर्शन की भी इजाजत नहीं थी मगर कोर्ट से आखिरकार उन्हें प्रदर्शन की अनुमति मिल गई। किसानों के मुताबिक, अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो वे वाराणसी जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। किसानों ने यह भी कहा कि, उन्होंने पहले भी अपनी मांगों के लिए कई विरोध प्रदर्शन किए हैं। उन्होंने कहा कि, हम PM मोदी के खिलाफ नहीं हैं और ना ही हमारा किसी राजनीतिक दल से कोई संबंध है। हम सिर्फ PM मोदी की मदद चाहते हैं।
आखिर किसके कंकालों के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं किसान ?
अब सवाल यह उठता है कि,यह सभी किसान आखिर किसकी खोपड़ी की हड्डियों को लेकर यहां जमा हुए हैं ? किसानों का दावा है कि, पिछले एक साल में करीब 200 से ज़्यादा किसानों द्वारा कि गई आत्महत्या का सबूत है। यह खोपड़ियां उन किसानों की है, जिन्होंने कर्ज के बोझ या पानी की कमी के कारण अपने खेतों को सूखता देख आत्महत्या की थी।