इंदौर नगर निगम के ड्रेनेज विभाग में हुए 28 करोड़ के बिल घोटाले के मामले में चौंकाने वाला खुलासा हो रहा है। पांच फर्जी कंपनियों के नाम सामने आए है, नींव कंस्ट्रक्शन (मोहम्मद साजिद), ग्रीन कंसट्रक्शन (मोहम्मद सिदिदकी), किंग कंस्ट्रक्शन (मोहम्मद जाकिर), क्षितिज इंटरप्राइजेज (रेणु वडेरा) और जान्हवी इंटरप्राइजेज (राहुल वडेरा) का जाल केवल ड्रेनेज विभाग तक सीमित नहीं था। इन कंपनियों के कामों की 55 फाइल जनकार्य, उद्यान और यातायात विभाग में भी भुगतान के लिए लगी हुई है। इन विभाग में भी भुगतान की राशि 50 करोड़ रुपए से अधिक की बताई जा रही है। हालांकि अभी राशि का सही हिसाब सामने नहीं आया है। उधर ड्रेनेज विभाग में 28 करोड़ के बिल भुगतान के बाद 20 करोड़ की और फर्जी फाइल सामने आई है। यानी ड्रेनेज विभाग में ही यह घोटाला 48 करोड़ रुपए का सामने आ चुका है। यानी यह मामला 100 करोड़ से ऊपर जा सकता है।
कमीशन के आधार पर काम करने वाली कंपनियां
यह कंपनियां GST विभाग की पहले भी जांच में फर्जी (Corporation bill scam) यानी बोगस साबित हो चुकी है। बोगस कंपनियां वह होती है, जो कागजों पर चलती है और दो से तीन फीसदी कमीशन लेकर आपको जिस राशि का बिल चाहिए होता है, वह काट कर दे देती है। इसमें अब आशंका है कि, यह घोटाला केवल नगर निगम तक सीमित नहीं है, इन कंपनियों की फाइल अन्य विभागों में भी और मध्यप्रदेश सहित अन्य शहरों में भी लगी होने की पूरी संभावना है।
सीधे कंपनी संचालकों को ही पकड़ना जरूरी
इस मामले में MG रोड पुलिस थाने की जांच अभी नगर निगम पर अधिक फोकस है, हस्ताक्षर के नमूने ले रही है और बयान ले रही है। लेकिन निगम में सैंकड़ों कर्मचारियों से पूछताछ करने की जगह पुलिस इन पांचों कंपनियों के मालिकों को पकड़ने पर जोर लगाएगी, तो इस खेल का मास्टमाइंड सामने आएगा। यह फर्म ही बताएंगी कि इनसे किसने बिल लिए और किसने नगर निगम में भुगतान के लिए फर्जी फाइल बनाई। साथ ही यह पता चलेगा कि और किन विभागों में उनकी फर्म की फाइल लगी हुई है। ऐसे में प्रदेश स्तर पर इस घोटाले की पोल खुल सकेगी।
एक ही दिन में 5 किमी ड्रेनेज लाइन बिछाना बताया
बिल भुगतान के लिए इन कंपनियों द्वारा मेजरमेंट बुक में जो काम बताया वह चौंकाने वाला था। इसमें एक ही दिन में 5-5 किमी लंबी ड्रेनेज लाइन डलना बताया गया, जो संभव ही नहीं है। साथ ही 500-500 चेंबर एक ही दिन में काम होना बताया है। यह सब फर्जी तरीके से फाइल बनाकर 2018-19 के दौरान काम होना बताया गया।
20 करोड़ के घोटाले की और फाइल मिली
वहीं अभी तक ड्रेनेज विभाग में 28 करोड़ की फाइल मिलने की बात आ रही थी। वहीं अब 20 करोड़ की और फर्जी 17 बिल फाइलें सामने आई है। यानी घोटाला 48 करोड़ रुपए का हो चुका है। इनमें भी उस तरह फर्जी हस्ताक्षर व अन्य दस्तावेज है। वहीं कंपनियों के खातों से सामने आया कि जो भी भुगतान राशि निगम से मिली वह तत्काल निकाल ली गई है। वहीं पुलिस ने पांचों आरोपियों की तलाश के लिए वारंट जारी कर दिए हैं, आरोपियों की अग्रिम जमानत जिला कोर्ट से खारिज होने की भी खबर है। पुलिस ने लेखा विभाग से इन कंपनियों की 16 मूल फाइल ले ली है। वहीं नगर निगम ने इस मामले में जांच प्रभावित नहीं हो, इसके लिए लेखा विभाग के विनियमित कर्मी सुनील भवर और भूपेंद्र पुरोहित को लेखा से हटाकर ट्रेंचिंग ग्राउंड पर अटैच कर दिया है।