बाबा रामदेव को एक और बड़ा झटका लगा है। भ्रामक विज्ञापनों के मामले में सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद पतंजलि आयुर्वेदिक फार्मा कंपनी के 14 प्रोडक्ट्स की बिक्री पर रोक लगा दी गई है। यह कार्यवाही उत्तराखंड सरकार के औषधि नियंत्रण विभाग ने की है। अब ना ही यह 14 प्रोडक्ट मार्केट में दिखेंगे और ना ही इन प्रोडक्टस की मैन्युक्चरिंग हो सकेगी।
उत्तराखंड सरकार ने सोमवार शाम सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में इस बात की जानकारी दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, पतंजलि आयुर्वेद उत्पादों के बार-बार भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के कारण हमने कंपनी की 14 दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे पहले भी कोर्ट ने नवंबर 2023 में इंडियन मेडिकल की तरफ से दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान पतंजलि को अपने उत्पादों के विज्ञापनों को रोकने का निर्देश दिया था।
बार-बार किया जा रहा उल्लंघन
उत्तराखंड सरकार की औषधि लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने एक आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि, इन उत्पादों के विभिन्न माध्यमों से लगातार भ्रामक विज्ञापनों की अनेक शिकायतें आई हैं। उन शिकायतों के संबंध में केंद्रीय आयुष मंत्रालय द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के बाद भी उत्पादन किया जा रहा है। साथ ही संबंधित नियमों, शर्तों, ड्रग्स एंव मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954 और ड्रग्स एवं कॉस्मेटिक एक्ट 1945 का बार-बार उल्लंघन किया जा रहा है।
इन उत्पादों के लाइसेंस को निलंबित किया गया है
- श्वासारि गोल्ड
- श्वासारि वटी
- ब्रोंकोम
- श्वासारि प्रवाही
- श्वासारि अवलेहा
- मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पावर
- लिपिडोम
- बीपी ग्रिट
- मधुग्रिट
- लिवामृत एडवांस
- लिवोग्रिट
- आईिग्रट गोल्ड
- पतंजलि दृष्टि आई ड्रॉप
- मधुनाशिनी वटी एक्स्ट्रा पावर शामिल हैं
इन प्रावधानों के तहत भेजा गया नोटिस
एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम ( IGST)अधिनियम, 2017 की धारा 20 के साथ पठित केंद्रीय माल एवं सेवा अधिनियम, 2017 और उत्तराखंड राज्य माल एवं सेवा अधिनियम, 2017 की धारा 74 और अन्य लागू प्रावधानों का हवाला देते हुए नोटिस दिया है।