इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने एक आदेश जारी किया है। हाई कोर्ट ने कहा कि, कोई भी मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी के रहते हुए ‘लिव-इन रिलेशन’ में नहीं रह सकता है। अदालत ने यह भी कहा कि, इस्लाम इस तरह के संबंध की इजाजत नहीं देता है और हाई कोर्ट अनुच्छेद 21 के तहत संवैधानिक संरक्षण में लिव-इन रिलेशनशिप के अधिकार को मान्यता नहीं देता है।
आइए जानते क्या है पुरा मामला ?
दरअसल, हिंदू युवती स्नेहा देवी और शादीशुदा मुस्लिम पुरुष मुहम्मद शादाब दोनों लिव-इन रिलेशन में रह रहे थे। जबकि मुहम्मद शादाब पहले से ही शादीशुदा था और उसकी 5 साल की बेटी भी है। लिव-इन रिलेशन रह रहे दोनों कपल ने इस मामले में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने और लिव-इन रिलेशन में रहने के दौरान सुरक्षा की मांग की थी। याचिकाओं का कहना था कि, वह दोनों ही बालिग हैं और अपनी मर्जी से लिव-इन रिलेशन में रह रहे हैं। इसके बावजूद भी युवती के भाई ने अपहरण का आरोप लगाते हुए बहराइच के विशेश्वरगंज थाने में FIR दर्ज कराई थी। याचिका में इसी FIR को चुनौती दी गई थी और याचिकाओं के शांतिपूर्ण जीवन में दखल न दिए जाने का आदेश देने की भी मांग की गई थी।
हालांकि, रिकॉर्ड में अदालत ने पाया कि मुस्लिम व्यक्ति पहले से ही एक मुस्लिम महिला का पति है और उसकी एक 5 साल की बेटी भी है। अदालत को बताया गया कि, मुस्लिम व्यक्ति की पत्नी को उसके लिव-इन रिलेशनशिप पर कोई आपत्ति नहीं थी, क्योंकि वह कुछ बीमारियों से पीड़ित है। लेकिन हाल ही में हुई सुनवाई में कोर्ट को यह बताया गया कि, शख्स ने पत्नी को तीन तलाक दे दिया है।
29 अप्रैल को कोर्ट ने पुलिस को व्यक्ति की पत्नी को पेश करने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही व्यक्ति और उसकी लिव-इन पार्टनर स्नेहा देवी को भी कोर्ट में पेश होने के लिए आदेश दिए थे। अदालत को पता चला कि, पत्नी उस व्यक्ति की पत्नी उसके दावे के विपरीत उत्तर प्रदेश में रहने के बजाए मुंबई में अपने ससुराल वालों के साथ रह रही थी। कोर्ट ने कहा कि, अपहरण के मामले को रद्द करने की मांग करने वाली याचिका वास्तव में हिंदू महिला और मुस्लिम पुरुष के बीच लिव-इन रिलेशनशिप को वैध बनाने की मांग कर रही है।
इस मामले कि सुनवाई के दौरान HC ने कहा कि, पत्नी के अधिकारों के साथ-साथ नाबालिग बच्चे के हित को देखते हुए, दोनों के इस लिव-इन रिलेशनशिप को आगे जारी करने की अनुमति नहीं देता है, बल्कि कोई भी शादीशुदा व्यक्ति अपनी पत्नी को छोड़कर किसी और के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में नहीं रह सकता है। HC के जस्टिस ए.आर मसूदी व जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव ने यह आदेश हिंदू युवती स्नेहा देवी और मुहम्मद शादाब खान की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया है।