जब जब बात भारतीय सुरक्षा की होती है तो एक नाम उभर के आता है जिसने सालों साल भारत की ढाल बनकर सेवा की है। वो नाम है अजीत कुमार डोभाल। उनका नाम भारतीय सुरक्षा व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। डोभाल ने पाकिस्तान में एक अंडरकवर ऑपरेटिव के रूप में सक्रिय आतंकवादी समूहों के बारे में खुफिया जानकारी जुटाने के लिए सात साल बिताए। एक साल तक खुफिया एजेंट के रूप में काम करने के बाद, उन्होंने इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग में छह साल तक काम किया। वर्तमान में वे भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं, और उनकी भूमिका भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, रणनीतिक और बाह्य नीतियों को निर्देशित करने में महत्वपूर्ण है। डोभाल की अद्वितीय सोच, उनकी कुशलता और निडरता के लिए वे प्रसिद्ध हैं।
डोभाल 1968 में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में शामिल हुए और उन्होंने केरल कैडर में अपनी सेवा शुरू की। उनके करियर का प्रमुख हिस्सा भारतीय खुफिया एजेंसी इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के साथ बीता। वे IB में 33 वर्षों तक रहे, जिसमें से 7 साल पाकिस्तान में अंडरकवर एजेंट के रूप में बिताए।
डोभाल ने अपनी सेवाओं के दौरान कई महत्वपूर्ण ऑपरेशनों का नेतृत्व किया। वे मिजोरम और पंजाब में विद्रोहियों के खिलाफ अभियानों में शामिल रहे और इन अभियानों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। उनके कार्यों के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा कई बार सम्मानित किया गया।
2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद, अजीत डोभाल को भारत का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया। इस भूमिका में, उन्होंने भारत की सुरक्षा नीति में महत्वपूर्ण बदलाव किए और कई बड़ी रणनीतिक पहलें कीं। उनके निर्देशन में, भारत ने उरी और पुलवामा हमलों के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट हवाई हमलों जैसे कठोर कदम उठाए। उसके बाद 2019? और अब एक बार फिर से यह तीसरी बार है जब अजित डोभाल को यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। पीएम मोदी ने फिर से एक बार उन पर भरोसा जताया है। पीएम मोदी का डोभाल पर भरोसा यूं ही नहीं है। उनके अहम योगदान मे शामिल हैं।
- सर्जिकल स्ट्राइक : 2016 में, उरी हमले के बाद, डोभाल के नेतृत्व में भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा पार कर सर्जिकल स्ट्राइक की, जिससे आतंकवादी लॉन्च पैड्स को नष्ट किया गया।
- बालाकोट हवाई हमला : 2019 में पुलवामा हमले के बाद, भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों पर हवाई हमला किया। यह ऑपरेशन भी डोभाल की योजना का हिस्सा था।
- चीन के साथ तनाव : लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर तनाव के दौरान, डोभाल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कूटनीतिक और सैन्य रणनीतियाँ तैयार कीं।
- ऑपरेशन ब्लू स्टार में खुफिया जानकारी : डोभाल ने 1984 में खालिस्तानी उग्रवाद को दबाने के लिए ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ के लिए खुफिया जानकारी जुटाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- ईराक में फंसी नर्सों को रिहा कराया : 2014 में ईराक के एक अस्पताल में फंसी नर्सों को रिहा कराने में अहम भूमिका निभाई। डोभाल इस गुप्त मिशन के लिए जून 2014 में खुद ईराक गए। उन्होंने वहां उच्च अधिकारियों के साथ बातचीत की। इसके बाद ही नर्सो की रिहाई सुनिश्चित हो सकी।
अजीत डोभाल का करियर भारतीय सुरक्षा और खुफिया तंत्र में उनकी उत्कृष्टता और निडरता का प्रमाण है। उनकी रणनीतिक सोच और नीतिगत दृष्टिकोण ने भारत को वैश्विक स्तर पर एक मजबूत स्थिति में लाने में मदद की है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में उनकी भूमिका ने भारत की सुरक्षा को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है, और वे भविष्य में भी देश की सुरक्षा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे।