विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने देशभर की 108 निजी और सरकारी यूनिवर्सिटी को डिफॉल्टर घोषित किया है। इनमें मध्यप्रदेश की 16 यूनिवर्सिटी शामिल हैं। जिनमें से 7 सरकारी यूनिवर्सिटी हैं और 9 प्राइवेट यूनिवर्सिटी हैं। अब सवाल ये हैं कि आखिर वो कौन सा कारण है ? जिसकी वजह से UGC ने इतना बड़ा निर्णय लिया है।
क्या है मामला
दरअसल, UGC के निर्देश के अनुसार हर यूनिवर्सिटी में लोकपाल की नियुक्ति जरूरी है। डिफॉल्टर लिस्ट में शामिल यूनिवर्सिटीज ने इस मापदंड का पालन नहीं किया है। लोकपाल विश्वविद्यालयों में छात्रों की समस्या का समाधान करता है। हालांकि माखनलाल यूनिवर्सिटी के वीसी ने कहा है कि, हमने लोकपाल की नियुक्ति की है। इसके बारे में UGC को जानकारी दी जाएगी। वहीं, कुछ यूनिवर्सिटी ऐसे भी हैं, जिन्होंने नियुक्ति के बावजूद छात्रों को जानकारी नहीं दी है।
इन सरकारी विश्वविद्यालयों के नाम
- राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर
- राजा मान सिंह म्यूजिक एंड आर्ट यूनिवर्सिटी, ग्वालियर
- नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान यूनिवर्सिटी, जबलपुर
- मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी, जबलपुर
- जवाहर लाल नेहरू कृषि यूनिवर्सिटी, जबलपुर
- राजीव गांधी प्रौद्योगिकी यूनिवर्सिटी, भोपाल
- माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार यूनिवर्सिटी, भोपाल
मध्यप्रदेश की यह प्राइवेट यूनिवर्सिटी डिफॉल्टर है
- आर्यावर्त यूनिवर्सिटी, सीहोर
- मध्यांचल प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, भोपाल
- स्वामी विवेकानंद यूनिवर्सिटी, सागर
- ज्ञानोदय यूनिवर्सिटी, नीमच
- जेएनसीटी प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, भोपाल
- अमलतास यूनिवर्सिटी, देवास
- एलएनसीटी विद्यापीठ यूनिवर्सिटी, इंदौर
- ओरिएंटल यूनिवर्सिटी, इंदौर
- श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय, इंदौर
छात्रों को मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा
वहीं डिफॉल्टर घोषित होने के बाद यूनिवर्सिटी की छवि पर बुरा असर पड़ेगा। प्लेसमेंट के लिए आने वाली कंपनियां इन्हें क्रेडिबल नहीं मानेंगी। साथ ही यहां पढ़ रहे छात्रों को भी आगे कई मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा। RGPV हाल ही में घोटालों की वजह से पूरे मध्यप्रदेश में सुर्खियों में बनी थी। घोटाले के कारण RGPV के कुलपति गिरफ्तार हो चुके हैं।