इंदौर के युगपुरुष धाम एनजीओ से जुड़ा “बाल आश्रम” पिछले कुछ दिनों से बच्चों के प्रति अपनी लापरवाही के कारण सुर्खियों में छाया हुआ है। खबर आई है कि, आश्रम की अस्वच्छ स्थितियों के कारण वहां के कई बच्चों की तबियत खराब हो गई हैं। अचानक से बच्चों को उल्टी और दस्त होने लगे। जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए चाचा नेहरू अस्पताल में भर्ती करवाया गया हैं।
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दो बच्चों के मल के सैंपल, आठ के खून के सैंपल और पानी के दो सैंपल लिए थे। प्राप्त सैंपल्स से ज्ञात हुआ कि, सभी मामले हैजा के हैं। मंगलवार तक खबर थी कि, 39 बच्चें अस्पताल में भर्ती हैं, जो कल बढ़कर 49 हो गए थे। इनमें से 4 बच्चों की तबियत इतनी खराब है कि उन्हें आईसीयू में रखा गया हैं। खबर थी कि, तबियत खराब होने की वजह से 5 बच्चों की मौत हुई थी। लेकिन अब इसमें बड़ा खुलासा हुआ है और ज्ञात हुआ है कि 5 नहीं बल्की 6 बच्चों की मौत हुई हैं।
29-30 जून से 2 जुलाई की रात के बीच आश्रम में पांच नहीं बल्कि छह बच्चों की मौत हुई थी। जिसमें आश्रम प्रबंधन ने कथित तौर पर पहले हुई बच्चे की मौत की जानकारी प्रशासन से छिपाई थी। सूत्रों के मुताबिक, पहला पीड़ित 11 वर्षीय अंकित गर्ग था जिसके शव को बिना पोस्टमार्टम के ही दफना दिया गया था। इस बात की पुष्टि बुधवार रात को कलेक्टर आशीष सिंह को अंतरिम जांच रिपोर्ट सौंपने के बाद हुई थी। रिपोर्ट में आश्रम प्रबंधन को अंकित की मौत समेत अन्य तथ्यों को छिपाने, इलाज करवाने में लापरवाही बरतने और रिकॉर्ड के मिसमैनेजमेंट के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया है।
आश्रम की जांच में यह भी ज्ञात हुआ है कि, आश्रम प्रबंधन ने सिर्फ 100 बच्चों की क्षमता वाले आश्रम में 200 से अधिक बच्चों को प्रवेश दिया था। इस मामले की जांच कर रहे एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, छात्रावास में कई लापरवाही थीं, जिसमें 100 बच्चों की जगह 200 से ज़्यादा बच्चों की भर्ती का मामला शामिल था। इसके अलावा छात्रावास में वेंटिलेशन के उचित प्रबंध भी नहीं थे, साथ ही वहां पर स्वच्छता का ध्यान भी नहीं रखा जा रहा था। छात्रावास में सभी बच्चें अस्वस्थ और अस्वच्छ परिस्थितियों में रह रहे थे। इसके अलावा आश्रम में कुपोषण भी एक बड़ा मुद्दा है, क्योंकि आश्रम में ज्यादातर बच्चें कुपोषित पाए गए हैं।
जांच में सभी सबूत मिलने के बाद, इंदौर जिला प्रशासन ने रिपोर्ट के आधार पर आश्रम को “कारण बताओ नोटिस” भेजा है। जिला प्रशासन के मुताबिक, अगर आश्रम तीन दिन के अंदर इस नोटिस का जवाब देने में विफल रहता है, तो उसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर दिया जाएगा। साथ ही कलेक्टर आशीष सिंह ने इस बात की भी पुष्टि की है कि, सभी बच्चों को आश्रम से निकल कर अब सरकारी या गैर-सरकारी संस्थानों में भिजवाया जाएं।