लोकसभा चुनाव के बीच कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए रामनिवास रावत ने कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ले ली है। इस बीच उन्हें दो बार शपथ लेनी पड़ी। पहली बार उन्होंने राज्य मंत्री के पद की शपथ ली और उसके बाद उन्होंने कैबिनेट मंत्री की शपथ ली। शपथ लेने से पहले उन्होंने कहा कि, “कांग्रेस को मैंने नहीं छोड़ा है। मुझे भगाया गया है। कांग्रेस में मेरी उपेक्षा हुई, उस पार्टी में सीनियर की इज्जत नहीं होती है। हमने मंत्री बनने के पहले ही श्योपुर को जिला का दर्जा दिला दिया। शपथ लेने और विभाग मिलने दीजिए, भविष्य में भी बड़ी प्लानिंग है।”
दूसरी तरफ रामनिवास रावत ने अपने शपथ ग्रहण समारोह के दौरान इतिहास रच दिया। वह ऐसे पहले व्यक्ति बन गए जिन्होंने कांग्रेस विधायक रहते हुए भाजपा सरकार में मंत्री पद ग्रहण किया है। इस अनूठी स्थिति को और भी जटिल बना दिया गया क्योंकि रावत ने कैबिनेट मंत्री के पद की शपथ लेने से पहले राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा नहीं दिया है।
15 मिनट में ही मिला ‘प्रमोशन’
रामनिवास रावत को मंत्री पद की शपथ आज सुबह दो बार दिलाई गई है। राजभवन में शपथ समारोह का आयोजन सुबह 9 बजे किया गया था। रामनिवास रावत ने शपथ ली। इस दौरान एक बड़ी चूक हो गई। उन्होंने पहली बार जो शपथ ली वह राज्य मंत्री की थी। 15 मिनिट बाद उन्हें फिर से शपथ दिलाई गई। जब उनकी शपथ हुई तो वह कैबिनेट मंत्री बने। इससे यह साफ है कि रामनिवास रावत को 15 मिनट में ही मोहन सरकार में प्रमोशन मिल गया है। शपथ के पुराने वीडियो भी सरकारी प्लेटफॉर्म से हटा दिए गए हैं
मंत्री बनने के बाद इस्तीफा
वहीं रामनिवास रावत ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करने के बाद भी विधानसभा में कांग्रेस विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिए थे। वो भी बीजेपी के किए वादे का पूरा होने का इंतजार कर रहे थे। सोमवार को जब उन्हें मंत्री पद की सदस्यता दिलाई गई, इसके बाद विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया है। उन्होंने जब मंत्री पद की शपथ ली, तब तक वह कांग्रेस के ही विधायक थे। अब छह महीने के अंदर विजयपुर में उपचुनाव होंगे। इसमें अगर रामनिवास रावत को जीत मिलती है तो वह आगे मंत्री बने रहेंगे।