बांग्लादेश में कुछ समय की शांति के बाद एक बार फिर से विरोध की आग फैलने लगी है। सरकार से नाराज़ भीड़ फिर लोग सड़कों पर हैं। इस प्रदर्शन की आग की लपटें पहले से भी ज्यादा तीव्र है। जो अब तक 100 लोगों की मौत का कारण बन चुकी है। दरअसल, प्रदर्शनकारी सरकारी नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था के मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री शेख हसीना का इस्तीफा मांग रहे हैं। ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन’ के बैनर तले एक ‘असहयोग कार्यक्रम’ का आगाज़ हुआ, जिसमें अवामी लीग, छात्र लीग और जुबो लीग के कार्यकर्ता भाग लेने पहुंचे थे। विरोध प्रदर्शन के चलते ढाका की ज्यादा दुकानें और मॉल बंद रहे। मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद कर दी और अनिश्चितकाल के लिए पूरे देश में कर्फ्यू लागू कर दिया है। सैकड़ों छात्र और कामकाजी लोग ढाका के शाहबाग में एकत्र हो गए हैं, जिससे ट्राफिक भी जाम हो गया और फिर कई पक्षों के बीच झड़प हो गई।
झड़प मे हुआ जान-माल का भारी नुकशान!
विरोध प्रदर्शन मे हुई झड़प का असर गहरा हुआ है। कोमिला में कल एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई। इसके अलावा 300 से अधिक पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस थानों, पुलिस चौकियों, सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यालयों और उनके नेताओं के आवासों पर हमला किया तथा कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया। ख़बरों के अनुसार दक्षिणपंथी इस्लामी शासन तंत्र के कार्यकर्ताओं के शामिल होने की वजह से ये आगजनी हुई है।
हिन्दुओं को ख़ास तरह से निशाने पर लिया गया
द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस्कॉन और काली मंदिरों सहित हिंदुओं के घरों को ख़ास तौर पर निशाना बनाया गया है। इस कारण भक्तों को शरण लेने के लिए भी मजबूर होना पड़ा। हिंसा में एक हिंदू की मौत भी हुई है।
प्रधानमंत्री ने क्या कहा?
विरोध पर प्रधानमंत्री हसीना ने भी जनता को संबोधित करते हुए कहा कि, ‘विरोध के नाम पर बांग्लादेश में तोड़फोड़ करने वाले छात्र, नहीं बल्कि आतंकवादी हैं और उन्होंने जनता से ऐसे लोगों से सख्ती से निपटने को कहा। साथ ही सुरक्षा मामलों को लेकर एक इमर्जेंसी मीटिंग भी बुलाई गई जिसमें सेना, नौसेना, वायुसेना, पुलिस, रैपिड एक्शन सहित कई अन्य शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया