दुनिया में मंकीपॉक्स के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए कई देशों में चिंताजनक स्थितियां बन रही हैं। कोरोना की तरह अब मंकीपॉक्स भी लोगों को डराने लगा है। इसको देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने गंभीर चेतावनी जारी करते हुए, अंतरराष्ट्रीय चिंता और सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (Public Health Emergency of International Concern) घोषित कर दिया है। यह दूसरी बार है जब इस संक्रमण को लेकर चेतावनी जारी की गई है। इससे पहले जुलाई 2022 और मई 2023 के बीच चेतावनी जारी की गई थी। उस दौरान दुनिया के 116 देशों में यह वायरस फैला था और करीब 1 लाख मामले सामने आए थे। तब भारत में भी यह बीमारी फैली थी।
अफ्रीकी देश डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC) और पड़ोसी देशों से रिपोर्ट किए गए मामलों में तेजी के बाद WHO ने चेतावनी जारी करने का फैसला किया। WHO के आंकड़ों के अनुसार 2022 से 116 देशों में मंकीपॉक्स के कारण कम से कम 99,176 मामले और 208 मौतें दर्ज की गई हैं।
क्या है मंकीपॉक्स?
मंकीपॉक्स को Mpox के नाम से भी जाना जाता है। एमपॉक्स वायरस (MPXV) के कारण होने वाला अपने आप में एक सीमित वायरल संक्रमण है। मंकीपॉक्स के सबसे आम लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, कमजोरी और सूजे हुए लिम्फ नोड्स के साथ-साथ चेचक जैसे चकत्ते शामिल हैं। ये दो से तीन सप्ताह तक रहते हैं। यह कुछ दिन में खुद ही खत्म होने वाली बीमारी है, लेकिन इससे मृत्यु भी हो सकती है। विशेषकर बच्चों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों में यह खतरा ज्यादा रहता है।
आम तौर पर इस बीमारी के लक्षण वायरस संक्रमण के 21 दिन बाद तक दिख सकते हैं। यह दो से तीन हफ्ते तक रहता है। इसके बाद यह खुद ही ठीक हो जाता है। मंकीपॉक्स संक्रमित व्यक्ति यदि दूसरे के साथ उठता बैठता है, तो उसे भी यह बीमारी हो सकती है। यह खास तौर पर सांसों के जरिए, मुंह से निकले वाष्प के जरिए, दूसरों के बिस्तर और तौलिया आदि इस्तेमाल करने से भी फैल सकती है।
पहला मामला 64 साल पहले सामने आया था
WHO के अनुसार, इंसानों में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में सामने आया था। उस समय कॉन्गो के रहने वाले एक 9 महीने के बच्चे में ये संक्रमण मिला था। ये मामला इसलिए भी हैरान कर रहा था क्योंकि 1968 में यहां चेचक पूरी तरह खत्म हो चुका था। इसके बाद जब बच्चे की जांच की गई तो उसमें मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई। इसके बाद अफ्रीकी देश के 11 इंसानों में मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के मामले सामने आए थे। दुनिया में मंकीपॉक्स का संक्रमण अफ्रीका से फैला है।
किसी भी इंसान के मंकीपॉक्स से संक्रमित होने का पहला मामला सामने आने के बाद कई अफ्रीकी देशों में जब बंदरों और गिलहरियों का टेस्ट किया गया तो उनमें मंकीपॉक्स के खिलाफ एंटीबॉडी मिली थी। इससे वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि, मंकीपॉक्स का ओरिजिन सोर्स अफ्रीका ही है। अफ्रीका से ही एशियाई बंदरों में ये वायरस फैला है। इसके बाद कॉन्गो के अलावा बेनिन, कैमरून, गेबन, लाइबेरिया, नाइजीरिया, दक्षिणी सूडान समेत कई अफ्रीकी देशों में इंसानों में मंकीपॉक्स वायरस के कई मामले सामने आने लगे।
भारत में भी चिंता
पड़ोसी देश पाकिस्तान में मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आ चुका है। अब इसके चलते भारत में भी अलर्ट जारी कर दिया गया है, क्योंकि पड़ोसी देश से यदि मंकीपॉक्स से पीड़ित कोई व्यक्ति भारत आ जाते है, तो भारत में भी इसके मरीज सामने आ सकते हैं।