संसद का शीतकालीन सत्र शुक्रवार को ख़त्म हो गया सत्र के आख़िरी दिनों में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का संविधान पर बहस के दौरान आंबेडकर पर दिया गया बयान लगातार सुर्ख़ियों में है। सत्ता पक्ष और विपक्ष ने एक-दूसरे के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी की यहां तक तो फिर भी ठीक था लेकिन बात संसद जैसे पूजनीय और सम्मानित स्थल पर माननीय सांसदो के बीच धक्का-मुक्की तक हो गई। शाह के बयान को अब पूरे देश में राजनीति तेज हो गई है। AAP पार्टी इसे दिल्ली में आने वाले चुनाव के लिए भुनाने के प्रयास में है।
ऐसे में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मौके को भुनाने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर केंद्र की मोदी सरकार को दिए जा रहे समर्थन पर एक बार फिर से विचार करने के लिए कहा है। उन्होंने अपने पत्र में दावा किया है कि बीजेपी ने संसद में बाबा साहेब का अपमान किया है। लोगों को लगता है कि बाबा साहेब को चाहने वाले बीजेपी का समर्थन नहीं कर सकते हैं। हालांकि जदयू की तरफ से केजरीवाल को इस पत्र का ज़बर्दस्त जवाब मिला है लेकिन पहले पूरा मामला समझ लेते हैं की क्या सच में अमित शाह ने बाबा साहब आंबेडकर का अपमान किया या नहीं ये जानने की लिये उनका पूरा बयान देख लेते हैं।
ये मामला चर्चा में तब आया जब कॉंग्रेस के नेताओं द्वारा सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप वायरल की गई, उसमें अमित शाह बोलते दिख रहे हैं, “अभी एक फैशन हो गया है, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर…इतना नाम अगर भगवान का लेते, तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिलता।” शाह के इस 11 सेकंड के वीडियो को तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है और उनपर आंबेडकर के अपमान का आरोप लगाया जा रहा है।
लेकिन कई फैक्ट चैकर्स ने तुरंत इस क्लिप को भ्रामक बताते हुए असली वीडियो पोस्ट किया। PIB ने पूरे वीडियो को शेयर करते हुए एक्स पर लिखा, “सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री अमित शाह द्वारा बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर पर आपत्तिजनक बयान दिया गया है। यह दावा भ्रामक है।” पीआईबी ने बताया, “क्लिप्ड वीडियो में केन्द्रीय मंत्री के भाषण के चुनिंदा हिस्से को गलत तरीके से पेश किया गया है।
शाह का पूरा बयान क्या था?
संविधान पर चर्चा का जवाब देते हुए अमित शाह ने राज्यसभा में जो बयान दिया था, उसके पहले 11 सेकंड के बाद की बात हम बताते हैं। शाह ने 11 सेकंड के बयान के बाद कांग्रेस पर आंबेडकर के अपमान का आरोप लगाते हुए कहा, “हमे तो आनंद है कि आंबेडकर का नाम लेते हैं। आंबेडकर का नाम आप 100 बार ज्यादा लो, लेकिन साथ-साथ आंबेडकर जी के प्रति आपका भाव क्या है, ये भी बताता हूं। आंबेडकर को देश की पहली कैबिनेट से इस्तीफा क्यों देना पड़ा। आंबेडकर जी ने कई बार कहा, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के प्रति हो रहे व्यवहार से मैं असंतुष्ट हूं। सरकार की विदेश नीति से मैं असहमत हूं और अनुच्छेद 370 से मैं असहमत हूं।” शाह ने आगे कहा, “आंबेडकर जी को आश्वासन दिया गया, लेकिन उसे पूरा नहीं किया गया, बाद में उन्होंने इस्तीफा दे दिया।”
अब आप समझ ही गए होंगे कि आंबेडकर को अपमानित करने वाला दावा जनता को गुमराह करने की साज़िश से ज्यादा और कुछ नहीं है। हालांकि मुझे समझ नहीं आता… अगर विपक्ष BJP को फंसाना ही चाहती है तो मेरिट पर लड़ाई करते हुए भी मौके बनाये जा सकते हैं। ऐसे जबरन के मुद्दे उठाने से वे समाज में भी द्वेष और बंटवारे की आग को भड़काने के अलावा वे और किसी चीज़ में सफल नहीं होंगे।
अब आते हैं जदयू द्वारा केजरीवाल को पत्र के ज़वाब में जदयू सांसद संजय झा ने कहा कि कहीं कोई अपमान की बात नही है, कांग्रेस ने जिस तरीके से बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर का अपमान किया है, गृहमंत्री अमित शाह सदन में वही बात दोहरा रहे थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने आज तक उन्हें भारत रत्न नहीं दिया, उनको भारत रत्न कब मिला यह कांग्रेस बताए।
संजय झा ने आगे कहा, ‘हमने जवाब दे दिया है और पूछा है अरविंद केजरीवाल आपकी भावना क्या है यह बताइए? यह वही अरविंद केजरीवाल है जिन्होंने कोरोना के समय में बिहार के लोगों को बॉर्डर पर छोड़ दिया और नीतीश कुमार ने एक-एक व्यक्ति को घर पहुंचने का काम किया। यह अरविंद केजरीवाल क्या बोलेंगे?’
जदयू के अलावा केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और जीतन राम मांझी भी अमित शाह के समर्थन में आ गए हैं। दोनों दलित नेतदाओं को नहीं लगता कि शाह ने अपने बयान में आंबेडकर का अपमान किया है। उल्टे शाह के सुर में सुर मिला कर वे कहते हैं कि भाजपा ने जितना सम्मान अंबेडकर को दिया है, उतना पूर्ववर्ती सरकारों ने नहीं दिया।
कुल मिलाकर केजरीवाल की NDA मे फूट डलवाने वाली चाल फेल हो गई। लगभग सभी सहयोगियों ने शाह के बयान का सपोर्ट किया।