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Fourth Special

Abstract Artist ‘यायोई कुसामा’ के lens से देखने पर Polka dots जैसा दिखता है ब्रह्मांड!

यह सीमाओं को तोड़ने की कला है।

Last updated: मार्च 22, 2025 1:40 अपराह्न
By Rajneesh 2 महीना पहले
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7 Min Read
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Abstract Art…यह एक ऐसी दुनिया है जहाँ कलर, रेखाएँ, आकार और भावनाएँ किसी ठोस रूप में बंधी नहीं होतीं। यह वह कला है जो न तो किसी नियम को मानती है और न ही किसी परिभाषा की मोहताज होती है। यह वह भाषा है जो शब्दों से परे होती है, लेकिन फिर भी भीतर तक महसूस होती है। ज्यादातर यह बेतरतीब, बेतुकी और असंगठित लग सकती है, लेकिन यही इसकी सबसे बड़ी खूबसूरती है…यह सीमाओं को तोड़ने की कला है। एब्स्ट्रैक्ट आर्ट का हर स्ट्रोक, हर रंग, हर आकृति किसी कहानी का हिस्सा होता है, लेकिन यह कहानी केवल दर्शक की कल्पना में ही पूरी होती है। यही कारण है कि दो अलग-अलग लोग एक ही पेंटिंग को देखकर बिल्कुल अलग भावनाएँ महसूस कर सकते हैं।

वैसे तो दुनिया में ऐसे कई आर्टिस्ट हुए हैं जिन्होंने Abstract Art को लेकर अद्भुत काम किया है लेकिन उनमें से एक ऐसी हैं जिनका मुझ पर गहरा प्रभाव रहा। आर्टिस्ट का नाम है यायोई कुसामा। उनकी की कला भी इसी Abstract perspective से जन्मी है जहाँ कला केवल देखने की चीज़ नहीं, बल्कि महसूस करने की चीज़ है। उनकी सबसे फेमस कलाकृति “इन्फिनिटी मिरर रूम्स” एक एब्स्ट्रैक्ट दुनिया हैं, जो दर्शकों को वास्तविकता और कल्पना के बीच कहीं बहा ले जाती हैं।

यायोई की कला में पोल्का डॉट्स खूब देखने मिलते हैं। जब तक मैं सोशल मीडिया में था तो मैंने पोल्का डॉट्स को महिलाओं की ड्रेस तक सीमित होते देखा, ढेरों memes बने जिन्हें कम से कम मैं नहीं पसंद करता।

पोल्का डॉट्स केवल गोल बिंदु नहीं होते…वे अनंतता की प्रतीक होते हैं। हर बिंदु अपने आप में एक ब्रह्मांड है, एक विचार है, एक अस्तित्व है। यायोई कुसामा की कला में ये बिंदु कभी सजे-धजे नहीं होते, बल्कि पूरे कैनवास पर फैल जाते हैं, मानो एक ऐसी शक्ति हो जो हर चीज़ को निगल रही हो, हर चीज़ को खुद में समाहित कर रही हो।

कुसामा खुद भी कहती हैं, “बिंदु अनंतता के प्रतीक हैं। जब हम बिंदुओं से भरी दुनिया में खो जाते हैं, तब हम खुद का अस्तित्व भी भूल जाते हैं।”

उनके लिए पोल्का डॉट्स केवल एक डिजाइन नहीं था, यह एक मानसिक स्थिति थी, एक दर्शन था। ये बिंदु उनकी “self-obliteration” को दर्शाते हैं जहाँ व्यक्ति अपनी सीमाओं को भूलकर कला में विलीन हो जाता है।

अगर आप ध्यान से देखें, तो हमारी पूरी दुनिया ही पोल्का डॉट्स का खेल है। सितारों से भरा आकाश, समुद्र में बनती गोल तरंगें, बारिश की बूँदें, फूलों पर उभरी गोल आकृतियाँ…यह सब कहीं न कहीं कुसामा के पोल्का डॉट्स से मेल खाता है। उनकी कला इस विचार को दर्शाती है कि हम सभी इस ब्रह्मांड में छोटे-छोटे बिंदु हैं, जो मिलकर कुछ बड़ा, कुछ महान या कुछ बहुत साधारण बनाते हैं।

एब्स्ट्रैक्ट आर्ट और पोल्का डॉट्स में एक गहरा रिश्ता है। दोनों ही सीमाओं से परे हैं, दोनों ही अर्थ से अधिक अनुभूति पर केंद्रित हैं। जब हम कुसामा की कोई कृति देखते हैं चाहे वह उनकी “Infinity Nets” हो, या फिर “Mirror Room”। यह दुनिया हमें सोचने पर मजबूर करती है क्या कला का कोई निश्चित अर्थ होता है? या फिर कला का असली उद्देश्य केवल यह महसूस कर पाना है कि हम अनंत के कितने करीब हैं?

वैसे यायोई कुसामा का जन्म 22 मार्च 1929 को जापान के मात्सुमोटो शहर में हुआ था। उनके बचपन ने ही उनके भीतर की कल्पनाशक्ति को आकार दिया। एक सख्त पारिवारिक माहौल और माता-पिता के बीच संघर्षों ने उनके भीतर एक अस्थिरता और अकेलापन पैदा किया, जिसका असर उनके पूरे जीवन और कला पर पड़ा। बचपन में ही उन्हें मानसिक विकारों और hallucinations का अनुभव होने लगा। वे अक्सर अजीबोगरीब चीजें देखती, सामान्य वस्तुएं भी उन्हें असंख्य डॉट्स और अनंत तक फैलते हुए पैटर्न्स में बदलती नजर आतीं। यही अनुभव उनकी कला का सबसे महत्वपूर्ण आधार बन गया।

1957 में, यायोई कुसामा ने जापान छोड़कर न्यूयॉर्क का रुख किया। यह वही दौर था जब पॉप आर्ट और एब्स्ट्रैक्ट एक्सप्रेशनिज़्म का उभार हो रहा था। लेकिन कुसामा की कला इन सबसे अलग थी। यह एक व्यक्ति के आंतरिक मनोवैज्ञानिक संघर्ष की सजीव अभिव्यक्ति थी।

उन्होंने अपनी पहचान बनाने के लिए खूब मेहनत की और 1960 के दशक तक वे अमेरिकी कला जगत का जाना-पहचाना नाम बन चुकी थीं।

1973 में, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के कारण कुसामा को न्यूयॉर्क छोड़कर जापान वापस लौटना पड़ा। उन्होंने खुद को टोक्यो के एक मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कर लिया, जहाँ वे आज भी रहती हैं। लेकिन उनकी क्रिएटिविटी कभी नहीं रुकी। 1980 और 1990 के दशकों में उनकी लोकप्रियता फिर से बढ़ने लगी, और आज वे दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित समकालीन कलाकारों में गिनी जाती हैं। उनकी कला केवल उनके दिमाग के भ्रमों और उनके अवचेतन की खोज नहीं थी, बल्कि यह एक संवाद था दर्शकों से, समाज से, और खुद से।

यायोई कुसामा की कला केवल देखने भर की चीज़ नहीं है, यह एक अनुभव है एक ऐसी दुनिया जिसमें इंसान खुद को खो देता है और फिर नए अर्थों में खुद को खोजता है। वे कहती हैं, “अगर न दिखाया जाए तो कला का कोई अस्तित्व नहीं होता।”, हालांकि मैं उनकी इस बात से मैं पूरी तरह सहमत नहीं हूँ लेकिन हर किसी की कला को लेकर परिभाषा अलग हो सकती है।

उनका जीवन और उनकी कला हमें यह सिखाती है कि जब तक हम अपनी सच्ची पहचान को स्वीकार नहीं करते, तब तक हम खुद को पूरी तरह व्यक्त भी नहीं कर सकते।

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TAGGED: Abstract Art, Abstract Artist, art, Infinity Mirror Rooms, Polka dots, thefourth, thefourthindia, Yayoi Kusama
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