गुजरात में एक दलित परिवार के 6 सदस्यों पर रिपोर्ट की गई, जिन्हें भाजपा को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 10 करोड़ रुपये का दान देने के लिए “धोखा” दिया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि, परिवार से अडानी समूह से जुड़ी कंपनी ‘वेलस्पन एंटरप्राइजेज लिमिटेड’ के एक अधिकारी ने संपर्क किया था। बाद में उन्होंने 11 करोड़ रुपये से अधिक के बॉन्ड खरीदे जो 10 करोड़ रुपये भाजपा को और 1 करोड़ रुपये से कुछ अधिक शिव सेना को दिए गए।
परिवार के एक सदस्य ने समाचार पोर्टल को बताया कि, वेलस्पन ने एक “प्रोजेक्ट” के लिए अंजार में उनकी लगभग 43,000 वर्ग मीटर कृषि भूमि का अधिग्रहण किया था। गुजरात के हरेश सावकारा ने कहा कि, “यह पैसा उस मुआवजे का हिस्सा था जो हमें कानून के अनुसार दिया गया था। लेकिन यह पैसा जमा करते समय, कंपनी के वरिष्ठ महाप्रबंधक महेंद्र सिंह सोढ़ा ने हमें बताया कि इतनी बड़ी रकम से आयकर विभाग को परेशानी हो सकती है। फिर उन्होंने हमें चुनावी बॉन्ड योजना से परिचित कराया और हमे यह सुनिश्चित कराया कि हमें कुछ वर्षों में 1.5 गुना राशि मिलेगी। हम अनपढ़ लोग हैं। हमें नहीं पता था कि यह योजना क्या है लेकिन उस समय यह बहुत विश्वसनीय लग रही थी।”
महत्वपूर्ण बात यह है कि, परिवार ने 18 मार्च को अंजार पुलिस स्टेशन में एक शिकायत दर्ज की। इसमें वेलस्पन के निर्देशकों विश्वनाथन कोलेंगोडे, संजय गुप्ता, चिंतन ठाकेर और प्रवीण भंसाली के साथ-साथ वेलस्पन के वरिष्ठ महाप्रबंधक महेंद्रसिंह सोढ़ा, अंजार भूमि अधिग्रहण अधिकारी विमल किशोर जोशी का नाम शामिल है। पुलिस के तरफ से भी अभी तक कोई भी कार्यवाही नहीं की गई है।
यह एक चौंकाने वाली कहानी है और इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि कई डिजिटल समाचार आउटलेट्स ने इस मामले पर रिपोर्ट प्रकाशित की हैं। लेकिन मुख्यधारा के समाचार आउटलेटों, विशेषकर समाचार चैनलों में एक अजीब सी खामोशी है। लेकिन शायद हमें मीडिया की चुप्पी पर ज्यादा आश्चर्य नहीं होना चाहिए। क्योंकि जहां मीडिया को बोलना चाहिए वहां पर बोलती नहीं है। चुनाव आयोग द्वारा चुनावी बॉन्ड योजना पर डेटा प्रकाशित करने के बाद, चुनावी बॉन्ड योजना ने काफ़ी लोगों का असली चहेरा सामने लाया है।