डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका से यूरोप के मतभेद बढ़ने लगे हैं। ऐसे में यूरोप भारत के साथ मजबूत दोस्ती बनाने के प्रयास कर रहा है। इसी प्रयास के चलते हाल ही में, यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने भारत और यूरोपीय संघ (EU) के संबंधों को इस सदी की परिभाषित साझेदारियों में से एक बनने की क्षमता वाला बताया है।
यूरोपीय संघ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, और 2024 में दोनों के बीच वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार लगभग $126 बिलियन तक पहुंच गया है, जो पिछले दशक में लगभग 90% की वृद्धि दर्शाता है। भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, जो 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, यूरोपीय व्यवसायों के लिए विशाल अवसर प्रस्तुत करती है।
भारत और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता 2007 में शुरू हुई थी, लेकिन 2013 में यह रुक गई थी। 2022 में वार्ताएं फिर से शुरू हुईं, और अब दोनों पक्ष इस वर्ष के अंत तक समझौते को अंतिम रूप देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह समझौता वैश्विक स्तर पर अपनी तरह का सबसे बड़ा होगा, जो व्यापार, प्रौद्योगिकी, कनेक्टिविटी और रक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देगा।
वार्ता के दौरान कुछ प्रमुख चुनौतियाँ सामने आई हैं, जैसे: यूरोपीय संघ चाहता है कि भारत आयातित कारों, व्हिस्की और वाइन पर अपने उच्च शुल्कों को कम करे, जो वर्तमान में 100% से 150% तक हैं। भारत इन शुल्कों को धीरे-धीरे कम करने के लिए तैयार है।
यूरोपीय संघ के उच्च कार्बन शुल्क और वनों की कटाई से संबंधित नियमों का भारत विरोध करता है, क्योंकि यह उसके आर्थिक हितों को नुकसान पहुंचा सकता है।
इसके अलावा यूरोपीय संघ भारत में अपने उत्पादों के लिए बेहतर बाजार पहुंच चाहता है, जबकि भारत यूरोपीय संघ में अपने फार्मास्यूटिकल्स, वस्त्र और अन्य वस्तुओं के लिए बेहतर पहुंच की मांग कर रहा है।
व्यापार के अलावा, भारत और यूरोपीय संघ इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा चिंताओं को साझा करते हैं। चीन के बढ़ते प्रभाव, साइबर खतरों और समुद्री सुरक्षा चुनौतियों ने यूरोपीय संघ को इस क्षेत्र में अपनी भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है। भारत, अपनी बढ़ती नौसैनिक क्षमताओं और रणनीतिक साझेदारियों के साथ, क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है।
भारत और यूरोपीय संघ के बीच संबंधों में यह नया चरण दोनों पक्षों के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है। यदि मुक्त व्यापार समझौता इस वर्ष के अंत तक सफलतापूर्वक संपन्न होता है, तो यह न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि वैश्विक मंच पर दोनों की स्थिति को भी मजबूत करेगा। उर्सुला वॉन डेर लेयेन की भारत यात्रा इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो इस साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की संभावनाओं को उजागर करती है।