अरुणाचल प्रदेश, देश का पहले राज्य बन गया है, जहां POCSO Act के तहत किसी आरोपी को मौत की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने यह ऐतिहासिक निर्णय, अरुणाचल प्रदेश के कारो जिले के एक स्कूल हॉस्टल मामले में लिया है। इस होटल पर 21 नाबालिक छात्रों के साथ यौन उत्पीड़न का अपराध दर्ज हुआ है।
दरअसल, हॉस्टल में रहने वाले दो छात्रों के माता पिता ने नवंबर 2022 में हॉस्टल फैकल्टी के खिलाफ शिकायत दर्ज कारवाई थी। जिसके बाद राज्य सरकार ने दर्ज शिकायत की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया था। दल के द्वारा की गई जांच में पता चला कि, हॉस्टल के 6 छात्रों के साथ रेप और 15 छात्रों के साथ यौन उत्पीड़न किया गया था। इन सभी पीड़ितों की उम्र लगभग 6 से 12 साल थी, जिनमें लड़के और लड़कियां दोनों शामिल थे।
जांच में यह भी पाया गया कि, मुख्य आरोपी युमकेन बागरा (वार्डन) अपराध करने से पहले सभी बच्चों को नशीली दवाइयाँ देता था, जिससे वे बेहोश हो जाते थे। बागरा ने उन्हें इस बारे में किसी को बताने पर जान से मार देने की धमकी भी दी थी। जिसके बाद 6 छात्रों ने आत्महत्या करने का प्रयास भी किया था।
बागरा के अलावा इसमें दो और आरोपी शामिल थे, जो स्कूल के शिक्षक मार्बोम नगोमदिर और पूर्व प्रधानाध्यापक सिंगतुंग योरपेन है। इन दोनों को ही 20-20 साल के कारावास की सजा सुनाई गई है। वहीं, मामले में डेनियल पर्टिन और ताजुंग योरपेन नाम के दो और व्यक्तियों को मामले में बरी कर दिया गया है।
इस मामले में सिर्फ वार्डन बागरा को ही मौत की सज़ा सुनाई गई है, क्यूंकि 2014 से 2022 लगातार आठ वर्ष तक उसने छात्राओं का यौन उत्पीड़न किया था। वहीं बाकी दोनों आरोपियों को POCSO Act के तहत इस अपराध को बढ़ावा देने और उसकी शिकायत दर्ज न करवाने के लिए दोषी पाया गया हैं। इन दोनों की छात्रों के साथ हुए रेप और यौन उत्पीड़न में भागीदारी नहीं पाई गई हैं।
एसपी रोहित राजबीर सिंह ने इस निर्णय पर कहा है कि, “यह फैसला बच्चों की सुरक्षा के बारे में व्यापक सामाजिक जागरूकता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।”