नई दिल्ली। खुद के बच्चो से बदन पर पेंटिंग करवाने वाली रेहाना फातिमा को केरल हाइकोर्ट ने बरी कर दिया है। लाख मुश्किलें आईं, लेकिन अपनी बात पर डटी रहीं। रिहाई के बाद बोलीं कि तीन साल बाद साबित हो गया कि मैंने जो किया, गलत नहीं था। ये लड़ाई उनसे ज्यादा उनके बच्चों के लिए मुश्किल रही। हमारे समाज में मर्द बिना शर्ट के बाहर घूम सकते हैं, लेकिन महिलाओं के लिए हर समुदाय में तौर-तरीके हैं। हमें हमारी सोच बदलने की जरूरत है।
हम लोगों ने नहीं सोचा था कि ऐसा कोई केस हो जाएगा। बच्चों पर बहुत असर पड़ा था। मेरे बेटे ने बताया था कि उसे बॉडी पेंटिंग करना है। इसके बाद वीडियो भी बनाया गया। मैंने वीडियो पोस्ट करने के साथ मैसेज दिया था- ‘बच्चों को मां के शरीर से ही महिला के शरीर की पहचान होनी चाहिए। इसके बाद ही केस हो गया।
रेहाना फातिमा
ये कहा जस्टिस ने !
रेहाना को बरी करने का फैसला सुनाते हुए जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने कहा- नग्नता को अश्लीलता या अनैतिकता में बांटना गलत है। नग्नता को सेक्स से नहीं जोडऩा चाहिए। महिला के शरीर का केवल ऊपरी हिस्सा नग्न होना, कामुकता नहीं। इसी तरह किसी महिला की न्यूड बॉडी का वर्णन या चित्रण भी हमेशा सेक्सुअल या अश्लील नहीं होता। रेहाना ने अपने नाबालिग बेटे और बेटी से बॉडी पेंट करवाने का वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किया था। इसके कारण उन पर केरल स्टेट कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स पॉक्सो एक्ट के तहत दो केस दर्ज किए गए थे।
महिलाओं के लिए बोलीं रहना
रेहाना यह भी कहती हैं कि महिलाओं को एक तरह से सेक्स-सामान बना दिया गया है, जो मर्दों को बस संतुष्ट करे। इस सोच को लेकर बदलाव आना चाहिए। बाहर जाएंगे तो बच्चे को दूध पिलाती महिला को देख कर क्या सेक्सुअलिटी दिखती है। नहीं ना… इसमें आपको मां की ममता दिखेगी। महिला के शरीर पर पूरा अधिकार महिला को ही है। इसको लेकर जो महिला को डराया जा रहा है, उससे नहीं डरना है।
जेल की आप बीती
रेहाना बताती हैं- केस के बाद मैं पंद्रह दिन तक जेल में रही थी। मेरे बच्चों को बुरा लगा। बाहर चर्चा हो रही है कि पेंटिंग करने से बच्चों का मानसिक संघर्ष कैसा होगा। बच्चों पर क्या गुजरी होगी। जो भी उनके अंदर हो रहा था, वो पेंटिंग करने या वीडियो रिकॉर्डिंग करने पर नहीं हो रहा था। उनके लिए तो उनकी मां को इतने दिन तक जेल भेज दिया, क्योंकि उन्होंने पेंटिंग किया। यह उन लोगों के लिए बहुत मानसिक असर डालने वाली दिक्कत थी।
इस मुश्किल घड़ी में बच्चों को किसे और कैसे समझाया। इस सवाल के जवाब में रेहाना फातिमा कहती हैं- उस समय तो मैं उन्हें नहीं समझा पाई थी, क्योंकि मैं तो जेल में थी। जेल से वापस आने तक मेरे पूर्व पार्टनर और उनके मम्मी-पापा घर पर थे। मेरी भी मां घर पर थी। इन लोगों ने ही बच्चों को संभाला। उस वक्त कोरोना चल रहा था, इसलिए कोई बात भी नहीं हो पा रही थी। जेल से वापस आने के बाद मुझे कई दिन लग गए बच्चों को संभालने में।
रेहाना कहती हैं- मुझे बच्चों को समझाने में बहुत दिन लग गए कि हम लोगों ने जो किया, उसमें कुछ भी गलत नहीं था। बच्चों ने पेंटिंग किया। हमने वीडियो बनाया और वीडियो के साथ दुनिया को मैसेज भी दिया, लेकिन दुनिया यह नहीं समझ पा रही है। वो सोच रही है कि इसमें अश्लीलता, नग्नता है, शोषण है। ये उनकी सोच की दिक्कत है। हमने कुछ गलत नहीं किया। अब तीन साल बाद साबित हो गया कि मैंने कुछ गलत नहीं किया था। उस वक्त पर मेरा बेटा 12 साल का था और बेटी 8 साल की थी। अभी कोर्ट का आदेश आने के बाद दोनों खुश हैं।