27 फरवरी की शाम को हिमाचल प्रदेश के राज्यसभा चुनाव का परिणाम आ चुका है। हिमाचल प्रदेश के राज्यसभा में एक सीट थी। परिणाम स्वरूप उस सीट को पाने में भाजपा नेता हर्ष महाजन सफल रहे। हर्ष के विपक्ष में कांग्रेस से अभिषेक मनु सिंघवी थे। जिनके आराम से जीतने की उम्मीद भी थी। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि, बहुमत होने के बावजूद मनु हिमाचल की सीट हार गए। भाजपा को यह जीत क्रॉस वोटिंग से हासिल हुई है।
दरअसल, हिमाचल के 68 सदस्यों की सभा में कांग्रेस के 40, भाजपा के 25 और कुछ स्वतंत्र सदस्य मौजूद थे। जिसमें जीतने के लिए 35 वोटों की जरूरत थी। इसमें कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही 34-34 वोट मिले थे। जिसमें एन मौके में कांग्रेस के 6 नेताओं ने और 3 स्वतंत्र सदस्यों ने भाजपा को क्रॉस वोट कर दिया था। जिससे भाजपा के पक्ष में जीत आई।
क्या है क्रॉस वोट?
राज्यसभा चुनाव के दौरान जब कोई एक दल का विधायक किसी और दल के पक्ष में वोट करता है, तो क्रॉस वोटिंग कहते है। विधायक अपनी मर्जी से क्रॉस वोटिंग करते है। जिसका उदाहरण कल हिमाचल के परिणाम में देखने मिला है।
परिणाम आने के बाद हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने अपने बहुमत खोने की बात साझा की। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि, उनके विधायकों से दूसरो की विचारधारा से प्रभावित हो कर क्रॉस वोटिंग की थी। हार के बाद कुछ कांग्रेस नेताओं ने दावा किया है कि, उनके कुछ विधायक सभा पहुंचने के पहले ही गायब हो गए थे।
हिमाचल में भाजपा की जीत से कांग्रेस पर संकट आ गया है। हार के बाद कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने आज इस्तीफा दे दिया है। विक्रमादित्य हिमाचल प्रदेश के कार्य विभाग मंत्री थे। विक्रमादित्य के साथ 60 विधायक थे। उनके इस्तीफा के बाद कांग्रेस की बहुमत में असर पड़ेगा। वहीं भाजपा ने आज फ्लोर टेस्ट करवाया था, जिसमे बहुमत खोने के बाद सुखविन्द्र सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की जा रही है। इन सब घटनाओं से भावी चुनाव में कांग्रेस के लिए कठिनाई बढ़ती साबित हो रही है।