पश्चिम बंगाल में कोलकाता हत्याकांड के बाद ममता बैनर्जी ने राज्य में “एंटी रेप बिल” लागू करने का फैसला लिया था। आज बंगाल विधानसभा में इस बिल की पेशी थी। पेशी के परिणामस्वरूप, विधानसभा ने बिल को विपक्ष के पूर्ण समर्थन के बाद सर्वसम्मति से पारित कर दिया है। इस बिल का आधिकारिक नाम “अपराजिता बिल” रखा गया है। इसके साथ ही, पश्चिम बंगाल ऐसे गंभीर अपराधों से निपटने के लिए केंद्रीय कानूनों में संशोधन या बदलाव करने वाला पहला राज्य बन गया है।
बिल पारित होने के बाद ममता ने उसे “ऐतिहासिक” और “मॉडल” बताते हुए उसे कोलकाता मामले की पीड़िता की स्मृति को समर्पित किया और कहा कि, इस बिल में रेप और अन्य यौन अपराधों के दोषियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है। विधानसभा सत्र के दौरान ममता ने कहा कि, इस बिल में मौजूदा केंद्रीय कानून की खामियों को दूर करने की क्षमता है। साथ ही उन्होंने विपक्षी नेता “शुभेंदु अधिकारी” से राज्यपाल ‘सी.वी आनंद बोस’ से बिल को जल्द ही मंजूरी दिलाने की वकालत करने का आग्रह किया।
आइए जानते है कि इस बिल में क्या-क्या प्रावधान है?
- इस बिल में महिलाओं के उत्पीड़न और रेप के मामलों में आरोपियों को कठोर सजा दी जाएगी। साथ ही, POCSO एक्ट के प्रावधानों को और कड़ा किया गया है।
- बलात्कारियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है, यदि उनके कृत्यों के परिणामस्वरूप पीड़िता की मृत्यु हो जाती है या उन्हें गंभीर मस्तिष्क क्षति होती है
- इस बिल के तहत राज्य में “अपराजिता टास्क फोर्स” का गठन किया जाएगा, जिसमें अपराधियों को प्रारंभिक रिपोर्ट के 21 दिनों के अंदर ही सजा दी जाएगी।
- बिल में रेपिस्ट के लिए मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है। यदि रेप के बाद पीड़ित की मृत्यु हो जाती है या वह कोमा में चली जाती है, तो अपराधी को मृत्युदंड मिलेगा।
- अब नर्सों और महिला डॉक्टरों के आने जाने वाले मार्गों को कवर किया जाएगा। साथ ही, हर जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा 120 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं
- ममता सरकार ने ‘रात्रि साथी’ का भी प्रावधान किया है, जिसके तहत महिलाएं 12 घंटे ड्यूटी करेंगी। वहीं जरूरत पड़ने पर महिला डॉक्टर अपनी ड्यूटी बढ़ा सकते हैं।
विधानसभा सत्र के दौरान जहां भाजपा ने पारित बिल को स्वीकार किया, वहीं पार्टी के नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय न्याय संहिता (BNS) में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए कड़े प्रावधान पहले से ही शामिल हैं। बिल पारित करनी की सुनवाई के दौरान,
भाजपा नेता कोलकाता मामले को इंककित करते ममता के इस्तीफे की मांग नारे लगाने लगे थे। उन नारों के जवाब में ममता ने ऐसी परिस्थितियों में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की जवाबदेही पर सवाल उठाया और उनके इस्तीफे की मांग की। उन्होंने उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की बात छेड़ी और पश्चिम बंगाल के साथ उनकी तुलना की। इसमें ममता का दावा किया कि, बंगाल में पीड़ितों को अदालतों में न्याय मिल रहा है, लेकिन उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में नहीं।