दिल्ली में शनिवार को शुरू हुए जी-20 सम्मेलन ऐतिहासिक साबित हुआ। इस सम्मेलन के शुरू होने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जानकारी दी कि जी 20 परिवार में अब अफ्रीकी संघ भी शामिल हो गया है। दरअसल अफ्रीकी संघ काफी सालों से जी-20 का हिस्सा बनने की मांग कर रहा था। अब उनकी मांग पूरी होने पर अफ्रीकी संघ के 55 सदस्य देश में लगातार सकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहे हैं। इसके अलावा शिखर सम्मेलन के पहले दिन ही कई अहम घोषणाएं भी की गई। इन घोषणाओं के अलावा 9 सितंबर को ही भारत, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ ने भारत-मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारा (IECC EC) स्थापित करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किया।
अब जानते हैं कि इस प्रोजेक्ट से भारत को क्या फायदा होगा?
अगर भारत-मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारा बनता है तो दक्षिण पूर्व एशिया से खाड़ी, पश्चिम एशिया और यूरोप तक व्यापार प्रवाह के मार्ग पर मजबूती से आगे बढ़ेगा। इससे हमारे देश को न सिर्प आर्थिक बल्कि रणनीतिक लाभ भी मिलेगा। इसके अलावा लॉजिस्टिक्स और परिवहन क्षेत्र में बड़े अवसर पैदा होंगे। ये गलियारा हिंदुस्तान को वर्तमान की तुलना में तेज और सस्ता विकल्प प्रदान करता है। इससे हमारे व्यापार और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। इसे एक हरित गलियारे के रूप में विकसित किया जा सकता है, जो कि हमारे उद्देश्यों को बढ़ाएगा। इस क्षेत्र में हमारी स्थिति को मजबूत करेगा और हमारी कंपनियों को बुनियादी ढांचे के निर्माण में समान स्तर पर भाग लेने की अनुमति देगा। ये गलियारा आपूर्ति श्रृंखलाओं को भी सुरक्षित रखेगा। जिससे रोजगार पैदा करने और व्यापार सुविधा तक पहुँचने में सुधार करेगा। जी-20 की स्थापना साल 1997 में आये एक बड़े आर्थिक संकट के बाद हुई थी। लेकिन इस शिखर सम्मेलन का दर्जा साल 2008 में एक वैश्विक आर्थिक मंदी के दौरान दिया गया। अब जी 20 शिखर सम्मेलन हर साल एक बार होता है। हर साल एक मेंबर देश को अध्यक्ष बनाया जाता है जिसकी उपस्थिति में शिखर सम्मेलन होता है। जी-20 में अब अफ़्रीकी संघ का शामिल होना भारत के लिए कई तरीके से फायदेमंद हैं।
इस प्रोजेक्ट में क्या-क्या होगा?
- भारत-मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारा, इस प्रोजेक्ट में दो अलग-अलग कॉरिडोर का निर्माण शामिल होगा। पहला है पूर्वी कॉरिडोर जो भारत को खाड़ी क्षेत्र से जोड़ने में मदद करेगा। तो वहीं दूसरा है उत्तरी कॉरिडोर जो कि खाड़ी क्षेत्र को यूरोप से जोड़ेगा।
- इस कॉरिडोर में रेलवे, शिपिंग नेटवर्क और सड़क परिवहन मार्ग शामिल होंगे।
- इस सौदे के बाद भारत, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जर्मनी, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यूरोपीय संघ को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में पहले की तुलना में काफी ज्यादा फायदा होगा।
- समझौते के तहत इस कॉरिडोर में एक रेल और बंदरगाहों से जुड़ा नेटवर्क का निर्माण भी करेंगे , जिसमें सातों देश ‘पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट’ के तहत इन्वेस्टमेंट करेंगे।
- इस कॉरिडोर को भारत और अमेरिका साथ मिलकर करेंगे। इस समझौते के तहत कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर बड़े पैमाने पर काम होगा। यह ट्रेड रूट भारत को यूरोप से जोड़ते हुए पश्चिम एशिया से होकर गुजरेगा। भारत और अमेरिका के अलावा पश्चिम एशिया से संयुक्त अरब अमीरात व सऊदी अरब और यूरोप से यूरोपीय संघ, फ्रांस, इटली व जर्मनी भी इसका हिस्सा होंगे।