इंदौर की अद्भुत संस्कृति और गौरवशाली परंपरा को दर्शाने वाले अनंत चतुर्दशी चल समारोह ने अपने 100वे वर्ष में प्रवेश कर लिया है । गुरुवार शाम 6:30 बजे चिकमंगलूर चौराहे से खजराना गणेश की झांकी की पूजा के साथ शुरू हुआ चल समारोह अलसुबह तक चलता रहा। इस दौरान हजारों इंदोरियों ने रातभर जागकर श्रमिकों की मेहनत को झांकियां के रूप में निहारा।
इंदौर की झांकियां है खास !
देश के कई शहरों में झांकियां निकलती है लेकिन इंदौर की झांकियां कुछ खास है ऐसा इसलिए क्योंकि यह झांकियां कला,संस्कृति,खेल,ज्ञान के साथ साथ सियासत पर आधारित होती है। सामान्य पुतलो और इलेक्ट्रॉनिक लाइटों से बनी इन विशाल झांकियां को बनाने में अक्सर 3 महीने तक का समय लग जाता है। इन झांकियां में से कुछ झांकियां को पुरस्करित भी किया जाता है। शुक्रवार सुबह 7:00 बजे इस साल के नतीजे घोषित हुए , जिसमें प्रथम पुरस्कार राजकुमार मिल की बच्चियों के मनोरंजन घर को, द्वितीय पुरस्कार मालवा मिल की कालिया मर्दन और स्वदेशी मिल की सीता हरण को, तृतीय पुरस्कार हुकुमचंद मिल की वामन अवतार को और विशेष पुरस्कार कल्याण मिल की रामायण प्रसंग एवं होप मिल की चंद्रयान को मिला।
अखाड़े आकर्षण का खास केन्द्र
अनंत चतुर्दशी चल समारोह मे परंपरागत झांकियों के साथ इंदौर के अखाड़े भी हर साल शस्त्रकला का प्रदर्शन कर दर्शकों को रोमांचित करते हैं। झांकियों के माध्यम से पुराने जमानें की युद्ध कला का प्रचलन होता है। अखाड़े तलवार, भाले, बनेठी, ढाल से अपनी शस्त्रकला का प्रदर्शन करते है। इसके अलावा बड़े से रथ पर सवार अखाडों के हट्टे-कट्टे पहलवान अपनी भुजाओं के बल पर हैरतंगेज करतब दिखाते हैं। जिस अखाड़े का प्रदर्शन सबसे सर्वश्रेष्ठ होता है, उसे सम्मानित किया जाता है।
तीन दिन तक मिलों में निहार सकेंगे झांकियां
शनिवार से तीन दिन के लिए झांकियां मिल परिसरों में रखी जाएगी, और मिल क्षेत्रों मे मेले जैसा माहौल रहेगा। लोग शाम 6 बजे से रात 11:30 बजे तक झांकिया को देख पाएंगे। इस दौरान शाम को स्वेदशी मिल मार्ग से ट्रैफिक भी प्रतिबंधित रहेगा। डीआरपी लाइन पर प्राधिकरण और नगर निगम परिसर में नगर निगम की झांकियां देखी जा सकेगी।