आजकल आपने ये गौर किया होगा कि आप किसी दुकान मे जा कर दुध का पाकेट, सब्जी या कोई भी अन्य समान खरीद कर ऑनलाइन पेमेंट करते है और दुकानदार के स्कैनर बॉक्स से इस सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की गूंजती हुई आवाज़ ‘देवियों-सज्जनों’ के संबोधन के साथ 40 रुपए पेमेंट होने का ऐलान करती है। यह नया तरीक़ा है। जो पहले मशीनी आवाज़ सुनाई देती थी उसकी जगह अब ‘बिग-बी’ की आवाज़ ने ले ली है। अब ध्यान देने वाली बात है कि अक्सर ही हम प्रचार को रोचक बनाने और मशहूर करने के लिए किसी लोकप्रिय ऐक्टरस् की तस्वीरों, उनके डायलॉग्स का इस्तेमाल होते देखते हैं। कुछ ऐसे डायलॉग्स जो हमारे दिमाग़ में बसे हुए हैं। ऐसा ही एक डायलॉग है। ‘झकास’। 1985 की बात है। अनिल कपूर फिल्मों में नए थे। डायरेक्टर राजीव राय एक फिल्म बना रहे थे- युद्ध। मल्टीस्टारर फिल्म थी। अभिनेताओं में एक थे अनिल कपूर। लेकिन हम फिल्म पर बात नहीं करेंगे। सिर्फ़ इतना बताना है कि इस फिल्म में एक डायलॉग था, जिसे अनिल कपूर बोलते हैं- ‘झकास।’ लेकिन ये बात तो बड़ी आम है। लेकिन जो बात अब हम आपको बताने वाले है वो काफी गैर मामूली है। दरसल बात है 2022 में हुए एक वाक्ये की हाईकोर्ट ने अमिताभ बच्चन ने एक केस फाइल किया जिसके अनुसार पर्सनेलिटी राइट्स के अंतर्गत photos, dialogues, आवाज़ का कोई भी व्यक्ति या फर्म उनसे बिना permission लिए उपयोग नहीं कर सकता। ऐसा ही केस अनिल कपूर ने भी दर्ज कराया था। और आखिरकार फैसला दोनों के पक्ष मे भी दिया गया। इस केस के बाद इंटरनेट पर बहस छिड़ी हुयी तर्क – कुतर्क चल रहे हैं। लेकिन ये जानना महत्तवपूर्ण है कि आखिर ये राइट है क्या।
पर्सनेलिटी राइट्स क्या है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में निजता का अधिकार का जिक्र है। पर्सनेलिटी राइट्स भी निजता के अधिकार के अंतर्गत ही आता है। ये राइट दरअसल, पर्सनालिटी राइट्स मशहूर लोगों के लिए ये काफी अहम राइट है। अगर किसी मशहूर शख्सियत को लगता है कि उसके नाम, फोटो या आवाज का गलत तरीके से इस्तेमाल हो रहा है या हो सकता है तो वो इसके तहत रजिस्टर करवा सकता है। होता ये है कि लोग मशहूर हस्तियों की आवाज, फोटो का गलत इस्तेमाल कर उनकी निजता का उल्लंघन करते हैं। इसे भारतीय संविधान के आर्टिकल 21 के तहत निजता के अधिकार का ही हिस्सा माना गया है। हालाकि पर्सनालिटी राइट्स को लेकर भारत में कोई CodiFied law नहीं है। पर्सनालिटी राइट्स सभी लोगों की निजता की सुरक्षा के लिए हैं। Celebrity, Famous Personality की कोई कानूनी परिभाषा नहीं है। यानी बिना अनुमति अपने फायदे के लिए कोई किसी की फोटो, आवाज का गलत इस्तेमाल नहीं कर सकता। सभी को भारतीय संविधान के आर्टिकल 21 के तहत निजता का अधिकार मिला हुआ है।
कपूर की दलील
कपूर की ओर से पेश वकील प्रवीण आनंद ने कहा कि कई वेबसाइट और मंच विभिन्न गतिविधियों के जरिये वादी के व्यक्तित्व के खूबियों का दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने प्रेरक वक्ता के रूप में अभिनेता की तस्वीर का इस्तेमाल करके सामान की अनधिकृत बिक्री और शुल्क वसूलने, उनकी तस्वीर के साथ अपमानजनक तरीके से छेड़छाड़ करने और जाली ऑटोग्राफ तथा ‘‘झकास” सूत्रवाक्य वाली तस्वीरें बेचने का उल्लेख किया।
कोर्ट का फैसला
इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह ने कहा- किसी व्यक्ति की आवाज़, नाम, तस्वीर या डायलॉग को अवैध तरीके से, वो भी अपने आर्थिक फायदे के लिए इस्तेमाल करने की इजाज़त नहीं दी जा सकती। किसी सेलेब्रिटी का राइट ऑफ एंडॉर्समेंट उसकी आजीविका का प्रमुख साधन हो सकता है। इसे अवैध रूप से इस्तेमाल करने की इजाज़त देकर खराब नहीं किया जा सकता।